बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री रहीं दीप्ति नवल ने कहा कि अमृतसर का जलियांवाला बाग सेल्फी प्वाइंट हो गया है। इसे नहीं छुआ जाना चाहिए। यह मातम मनाने वाला स्थान है। इसे पिंक बना दिया गया है। इसकी जरूरत क्या है। वह हिरोशिमा गईं। उन्होंने खंडहर बने भवनों को संभालकर रखा, ताकि ये पीड़ा का एहसास करवाएं। ऐसा किया जाना चाहिए, तभी इसे देखने वाले को ट्रेजेडी का एहसास होगा। उन्होंने कहा कि हालांकि अमृतसर का स्वर्ण मंदिर बहुत बढ़िया हो गया है। दीप्ति नवल ने हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में आयोजित किए जा रहे अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव के तहत गेयटी थियेटर के सभा कक्ष में ‘शब्द और समझ’ कार्यक्रम में शुक्रवार को कहा कि उनका बचपन अमृतसर में गुजरा, उसके बाद वह अमेरिका चली गईं।
उनकी बचपन पर ‘एक कंट्री काल्ड चाइल्डहुड’ किताब जुलाई में आएगी। उन्होंने इस साक्षात्कार के शुरुआती पन्ने भी पढ़े। उनकी यह किताब आत्मकथात्मक और तृतीय पुरुष दोनों ही शैलियों में लिखी है। उनसे जब पूछा गया कि बचपन के पंजाब या अमृतसर में आज क्या राजनीतिक या सांस्कृतिक बदलाव पाती हैं तो उन्होंने कहा कि वह राजनीतिक कुछ नहीं कहेंगी। जहां तक सांस्कृतिक बदलाव की बात है तो जलियांवाला बाग को सेल्फी प्वाइंट बना देना और इसे एक तरह से नष्ट कर देना उन्हें पीड़ा देता है।
स्क्रीन या सोशल मीडिया के बजाय आमने-सामने संवाद में अलग ही आनंद
दीप्ति नवल ने कहा कि ऑर्गेनिक चीज की बात ही कुछ और है। सामने बैठकर बात करने की बात ही अलग है। स्क्रीन या सोशल मीडिया से अलग सीधा संवाद उन्हें बहुत अच्छा लगता है।
मैं हिमाचल को प्यार करती हूं, आधी पंजाबी और आधी हिमाचली हूं
दीप्ति बोलीं - मैं हिमाचल को प्यार करती हूं। आधी पंजाबी हूं और हिमाचली हूं। मैं तो हिमाचल में घर ढूंढ रही हूं। मेरे नाना डोगरी थे, वे कांगड़ा के थे। वे शुद्ध डोगरी थे। मेरे जींस में हैं। मेरे पिता पंजाब से थे। जब चार साल की उम्र थीं तो रोहतांग दर्रा गई थीं तो अब तो फ्लाईओवर भी है।
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स्क्रीन या सोशल मीडिया के बजाय आमने-सामने संवाद में अलग ही आनंद
2 months ago
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