रौशनी से जब हम ठुकराए गये
साथ छोड़कर सब साये गये
मेरी ख़ूबियों का ग़ुरूर टूट गया
जब मेरे ऐब मुझको गिनाए गये
सब क़ुसूर आँखों का था मगर
सब इल्ज़ाम दिल पे लगाए गये
हक़ीक़त में वो फ़क़त सहरा था
ख़्वाबों में सब्ज़ बाग दिखाए गये
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