चले आँखों में तीर लिए जो वो नादान भी है क्या
किसी के दिल पे राज करे जो वो सुल्तान भी है क्या
जिसे मिलने को मेरा दिल बहुत हैरान रहता है,
उसे मिलकर मेरा ये दिल बहुत हैरान भी है क्या
नही दुश्मन मिलेगा ढूढने पे भी कभी ऐसा,
इसी एक बात पे कातिल अब परेशान भी है क्या
गया वो लौटकर साधू गलत है मांगना सुनकर,
कहीं दो चार बोली दक्षिणा ओ दान भी है क्या
'शुभम' जो ढूढते फिरते हैं फरिश्तों पे फरिश्तों,
जरा पूछो इन्हें खुद भी कहीं इंसान भी है क्या
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एक वर्ष पहले
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