पढ़ी किताबें तो मिली डिग्रियां और रसीदें जुगाड़बाजी से यहां परचम लहराया है। शुरू किया जब जिंदगी का सफर तो साहब ठोकरों ने हमें उस्ताद बनाया है।। राजप्रखर - हम उम्मीद करते हैं कि यह पाठक की स्वरचित रचना है। अपनी रचना भेजने के लिए यहां क्लिक करें।
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