बालिका रूप में आती,
अष्टमी की ज्योत जगाती,
हलवा, छोले खा कर मैं,
तुरंत ओझल हो जाती,
ध्यान जो करोगे मेरा,
अपने नजदीक पाओगे,
मां वैष्णो है नाम मेरा,
पहाड़ों में है स्थान मेरा,
बर्फ से लदी पहाड़ियां हैं,
सुकून का अहसास है जहां,
वैष्णो देवी है धाम मेरा,
जो भी आता खाली हाथ,
कर देती उस पर मैं
खुशियों की बरसात।।
नंगे नंगे पैरों से चलकर, वैष्णो देवी के धाम जाएंगे,
जो रूठ गई है मां हमसे, हाथ जोड़ कर मनाएंगे।।
सीमा सूद
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एक वर्ष पहले
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