वक्त करे आखेट है भाई ,
दुश्मन अपना पेट है भाई।
तेरे मन की लिखा करूँ
कोरी मेरी स्लेट है भाई ।
बनने से पहले बिखरे ये
घर मेरा या प्रेत है भाई ।
तूफां से बच पाये कैसे
मुट्ठी-मुट्ठी रेत है भाई ।
हाँ किसान हूँ सपने मेरे
कट्ठा-कुट्ठी खेत हैं भाई ।
मूल नहीं 'वो' सूद चढ़ाए
ऐसा धन्ना सेठ है भाई ।
० सुमन कुमार सिंह, आरा, बिहार। मो.नं. 8051513170
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8 months ago
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