मिर्ज़ा ग़ालिब सिर्फ़ आलातरीन शायर ही नहीं थे, गुफ्तगू के दौरान उनकी हाज़िर जवाबी के क़िस्से भी बहुत मशहूर हैं।
एक-बार दिल्ली में रात गये किसी मुशायरे या दा’वत से मिर्ज़ा साहिब मौलाना फ़ैज़ उल-हसन फ़ैज़ सहारनपुरी के साथ वापस आ रहे थे। रास्ते में एक तंग गली से गुज़र रहे थे कि आगे वहीं एक गधा खड़ा था। मौलाना ने ये देखकर कहा, “मिर्ज़ा साहब, दिल्ली में गधे बहुत हैं।”
इस मिर्ज़ा ग़ालिब ने तपाक से कहा- “नहीं हज़रत, बाहर से आ जाते हैं।”
मौलाना फ़ैज़ उल-हसन झेंप कर चुप हो रहे।
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