झूठ बोलेगा तो ये आलम तेरा हो जाएगा
गर कहेगा सच यहां तो हादसा हो जाएगा
भेद की ये बात है, यूं उठ गया पर्दा अगर
तो सरे-बाज़ार कोई माजरा हो जाएगा
इक ज़रा जो राय दें हम तो बनें गुस्ताख़-दिल
वो अगर दें धमकियां भी, मशवरा हो जाएगा
है नियम बाज़ार का ये जो न बदलेगा कभी
वो है सोना जो कसौटी पर खरा हो जाएगा
भीड़ में यूं भीड़ बनकर गर चलेगा उम्र भर
बढ़ न पाएगा कभी तू, गुमशुदा हो जाएगा
तेरी आंखों में छुपा है दर्द का सैलाब जो
एक दिन ये इस जहां का तज़किरा हो जाएगा
साभार - पाल ले इक रोग नादां
प्रकाशन - हिन्द-युग्म
5 months ago
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