आता नहीं है इश्क़ भी करने का ढब मुझे
उनसे ही सीखना है मुहब्बत भी अब मुझे
मुझसे छुपा के बात वो करते हैं चाँद से
वो चाँद आके ख़ुद ही बताता है सब मुझे
बातें रक़ीब की जो सतातीं उन्हें कभी
पाते सुकून बातें बता कर वो तब मुझे
ख़्वाबों ख़याल ए यार में महदूद मैं रहा
फ़ुर्सत मिली है उनकी इबादत से कब मुझे
अपनी दीवानगी से मैं बेज़ार ख़ुद हूँ अब
वहशत ये कैसी उनसे मिली है ग़ज़ब मुझे
तेरी इनायतों का भी है दिल से शुक्रिया
देती जो ज़िंदगी तू कभी बेसबब मुझे
मेरे ख़ुदा का इश्क़ मुकम्मल करे ख़ुदा
तौफ़ीक़ इश्क़़ में वो अता कर दे रब मुझे
साभार शैलेश गुप्ता की फेसबुक वॉल से
1 month ago
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