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Jawaharlal Nehru Jayanti 2025: जवाहरलाल नेहरू के जीवन के 5 अनसुने किस्से, जिन्हें जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे!

लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: शिवानी अवस्थी Updated Fri, 14 Nov 2025 10:37 AM IST
सार

Jawaharlal Nehru Unknown Facts: जवाहर लाल नेहरू की जयंती 2025 के अवसर पर आइए जानते हैं उनके जीवन से जुड़े ऐसे ही पांच अनसुने किस्सों के बारे में।

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Children’s Day 2025 Jawaharlal Nehru Unknown Facts Stories in Hindi
पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू - फोटो : X/@INCIndia
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विस्तार
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Jawaharlal Nehru Jayanti 2025: भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद में हुआ था। देश के स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आधुनिक भारत की नींव रखने तक, उनका योगदान अद्वितीय रहा। लेकिन उनके जीवन में कई ऐसे रोचक और कम-ज्ञात प्रसंग भी हैं जिनसे बहुत कम लोग परिचित हैं। जवाहर लाल नेहरू की जयंती 2025 के अवसर पर आइए जानते हैं उनके जीवन से जुड़े ऐसे ही पांच अनसुने किस्सों के बारे में।

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नेहरू की विशाल लाइब्रेरी

चाचा नेहरू किताबों के इतने बड़े शौकीन थे कि उनके घर में हजारों किताबें मौजूद रहती थीं। वे सिर्फ पढ़ते ही नहीं, बल्कि प्रत्येक किताब पर अपने हाथ से नोट भी लिखते थे। कहा जाता है कि उन्होंने अपनी निजी लाइब्रेरी के लिए एक विस्तृत कैटलॉग तैयार कर रखा था, ताकि वे तुरंत आवश्यक किताब ढूंढ सकें।

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गांधी जी से पहली मुलाकात पर नेहरू की सोच

नेहरू और गांधीजी का संबंध बाद में बेहद घनिष्ठ हो गया, लेकिन पहली मुलाकात के समय नेहरू को विश्वास नहीं था कि गांधी जैसा सादा जीवन जीने वाला व्यक्ति लोगों को कितना प्रभावित कर सकेगा। बाद के वर्षों में नेहरू ने स्वीकार भी किया कि उन्होंने गांधी के प्रभाव को कम आंका था।


जेल में रहते हुए नेहरू ने सीखी कई भाषाएं

अपने लंबे जेल प्रवास के दौरान चाचा नेहरू ने समय को व्यर्थ नहीं जाने दिया। उन्होंने इतिहास, विज्ञान, राजनीति तो पढ़ी ही, साथ ही कई भाषाओं में महारत हासिल की। उनका जेल का समय ही कई प्रसिद्ध पुस्तकों जैसे ग्लिम्प्सेज ऑफ़ वर्ल्ड हिस्ट्री और डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया का जन्मदाता बना।


‘चाचा नेहरू’ की उपाधि बच्चों ने नहीं, शिक्षकों ने दी

अक्सर माना जाता है कि बच्चों ने नेहरू को ‘चाचा नेहरू’ कहना शुरू किया। लेकिन एक कम-ज्ञात तथ्य यह है कि कई स्कूलों के शिक्षकों ने बच्चों को प्रेरित करने के लिए नेहरू को इस उपनाम से संबोधित करना शुरू किया। बाद में यह नाम इतना लोकप्रिय हुआ कि नेहरू ने इसे खुद अपना लिया।

बचपन की शैतानियां

चाचा नेहरू जब छोटे थे तो एक बार उन्होंने अपने पिता का कीमती फाउंटेन पेन बिना उनकी इजाजत ले लिया। जब पिता को ये बात पता चली और उन्होंने पेन की तलाश शुरू की तो डर के कारण नेहरू जी ने नहीं बताया कि पेन उन्होंने लिया है। मोतीलाल नेहरू को जब जवाहर लाल नेहरू के पास से पेन मिला तो उन्होंने उनकी बहुत पिटाई की। ऐसे ही एक बार वह अपने पिता का अरबी घोड़ा लेकर चुपके से घर से बाहर चले गए। हालांकि कुछ देर बाद घोड़ा अकेला वापस आया। पूरे शहर में बड़े स्तर पर नेहरू जी की तलाश शुरू हुई तो वह सड़क पर जख्मी हालत में घर आते दिखे। घर से बाहर आते ही वह घोड़े से गिर गए थे।
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