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अमर उजाला ब्यूरो
महेंद्रगढ़। खेल स्टेडियम के नाम पर महेंद्रगढ़ में केवल लावारिस पशुओं वाला एक मैदान है। जिसमें ट्रैक की जगह घास वाला एक गोल चक्कर है। यहां आपको न पानी की सुविधा मिलेगी ना ही टॉयलेट की। आप यहां अपने कपड़े भी नहीं बदल सकते। खिलाड़ियों ने कहा कि हमने यहां कभी कोच देखा ही नहीं।
महेंद्रगढ़ में एक खेल स्टेडियम है। जो नाम का ही है। दरअसल यह एक मैदान है।जिसकी चहारदीवारी है। यहां पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा की कांग्रेस सरकार के समय में राजीव गांधी के खेल स्टेडियम बनाया गया था।जिसका भवन आज भी खड़ा है।जिसमें कुछ मशीन, मैट सहित अन्य खेल संसाधन उपलब्ध कराए गए थे। यहां किसी चौकीदार, कोच या अन्य कर्मचारी की नियुक्ति न होने के कारण स्टेडियम के दरवाजे तक लोग चोरी हो चुके हैं । अंदर का सारा सामान भी गायब हो गया। बाहर बने ट्रैक में लंबी घास उगी है। जिसमें कई जगह ईंट, पत्थर, कांटे,कंकर पड़े हैं। इन बाधाओं के बीच ही खिलाड़ी दौड़ लगाते रहते हैं।दरअसल यहां सुविधाएं नहीं होने के चलते खिलाड़ी अभ्यास करने भी नहीं आते। सेना, पुलिस की तैयारी कर रहे युवा अपनी दौड़ की तैयारी के लिए आते हैं।
इन युवाओं को यहां किसी तरह की कोई सुविधा नहीं मिलती। यहां स्टेडियम में पानी -टॉयलेट का प्रबंध नहीं है। खिलाड़ियों को अपने कपड़े चेंज करने हों तो यहां कोई कक्ष भी नहीं है। लावारिस गोवंश सबसे बड़ी समस्या है। गोवंश यहां घास चरने के लिए आ जाते हैं। युवाओं के दौड़ने वाले स्थान पर ही गंदगी फैलाकर चले जाते हैं। कई बाद गोवंश हिसंक होकर खिलाड़ियों को चोट भी पहुंचा देते हैं।
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हम पिछले एक साल से यहां तैयारी के लिए आ रहे हैं।यहां कभी घास तक नहीं काटी जाती। कई बार हम सभी युवा मिलकर अपने स्तर पर थोड़ी बहुत सफाई करते हैं। बारिश के बाद घास दोबारा से उग जाती है। यहां एक सिंथेटिक ट्रैक होना चाहिए।
हेमंत, खिलाड़ी
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स्टेडियम का गेट तक नहीं है। इसे आप स्टेडियम मत कहें। यह एक खाली मैदान है जिसकी चहारदीवारी तो है लेकिन गेट नहीं। लावारिस गोवंश यहां घूमते रहते हैं। कई बार दौड़ते हुए खिलाड़ियों को चोटिल कर चुके हैं। मैदान में गोबर करना तो आम बात है। कई बार यह पशु दौड़ने वाले एरिया में बैठ जाते हैं।
राहुल, खिलाड़ी
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सबसे अधिक युवा यहां दौड़ की तैयारी के लिए आते हैं। सेना, पुलिस की भर्ती की तैयारी करने के लिए अभ्यास करते हैं। प्रोफेशनल खिलाड़ी यहां कभी नहीं आते। यहां कोच की कोई सुविधा नहीं है। खेल स्टेडियम के नाम पर एक भवन है। जिसके ताले बंद हैं, अंदर कुछ नहीं है।
पंकज, खिलाड़ी
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महेंद्रगढ़ में खेलों के लिए कोई सुविधा सरकार ने प्रदान नहीं की है। इसी कारण यहां नेशनल लेवल के खिलाड़ी तैैयार नहीं हो पाते। उपमंडल स्तर पर खेल सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं है। जहां पीने के लिए पानी, शौचालय तक न हो उसे खेल स्टेडियम कहना गलत होगा।
प्रवीन, खिलाड़ी
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अमर उजाला ब्यूरो
महेंद्रगढ़। खेल स्टेडियम के नाम पर महेंद्रगढ़ में केवल लावारिस पशुओं वाला एक मैदान है। जिसमें ट्रैक की जगह घास वाला एक गोल चक्कर है। यहां आपको न पानी की सुविधा मिलेगी ना ही टॉयलेट की। आप यहां अपने कपड़े भी नहीं बदल सकते। खिलाड़ियों ने कहा कि हमने यहां कभी कोच देखा ही नहीं।
महेंद्रगढ़ में एक खेल स्टेडियम है। जो नाम का ही है। दरअसल यह एक मैदान है।जिसकी चहारदीवारी है। यहां पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा की कांग्रेस सरकार के समय में राजीव गांधी के खेल स्टेडियम बनाया गया था।जिसका भवन आज भी खड़ा है।जिसमें कुछ मशीन, मैट सहित अन्य खेल संसाधन उपलब्ध कराए गए थे। यहां किसी चौकीदार, कोच या अन्य कर्मचारी की नियुक्ति न होने के कारण स्टेडियम के दरवाजे तक लोग चोरी हो चुके हैं । अंदर का सारा सामान भी गायब हो गया। बाहर बने ट्रैक में लंबी घास उगी है। जिसमें कई जगह ईंट, पत्थर, कांटे,कंकर पड़े हैं। इन बाधाओं के बीच ही खिलाड़ी दौड़ लगाते रहते हैं।दरअसल यहां सुविधाएं नहीं होने के चलते खिलाड़ी अभ्यास करने भी नहीं आते। सेना, पुलिस की तैयारी कर रहे युवा अपनी दौड़ की तैयारी के लिए आते हैं।
इन युवाओं को यहां किसी तरह की कोई सुविधा नहीं मिलती। यहां स्टेडियम में पानी -टॉयलेट का प्रबंध नहीं है। खिलाड़ियों को अपने कपड़े चेंज करने हों तो यहां कोई कक्ष भी नहीं है। लावारिस गोवंश सबसे बड़ी समस्या है। गोवंश यहां घास चरने के लिए आ जाते हैं। युवाओं के दौड़ने वाले स्थान पर ही गंदगी फैलाकर चले जाते हैं। कई बाद गोवंश हिसंक होकर खिलाड़ियों को चोट भी पहुंचा देते हैं।
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हम पिछले एक साल से यहां तैयारी के लिए आ रहे हैं।यहां कभी घास तक नहीं काटी जाती। कई बार हम सभी युवा मिलकर अपने स्तर पर थोड़ी बहुत सफाई करते हैं। बारिश के बाद घास दोबारा से उग जाती है। यहां एक सिंथेटिक ट्रैक होना चाहिए।
हेमंत, खिलाड़ी
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स्टेडियम का गेट तक नहीं है। इसे आप स्टेडियम मत कहें। यह एक खाली मैदान है जिसकी चहारदीवारी तो है लेकिन गेट नहीं। लावारिस गोवंश यहां घूमते रहते हैं। कई बार दौड़ते हुए खिलाड़ियों को चोटिल कर चुके हैं। मैदान में गोबर करना तो आम बात है। कई बार यह पशु दौड़ने वाले एरिया में बैठ जाते हैं।
राहुल, खिलाड़ी
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सबसे अधिक युवा यहां दौड़ की तैयारी के लिए आते हैं। सेना, पुलिस की भर्ती की तैयारी करने के लिए अभ्यास करते हैं। प्रोफेशनल खिलाड़ी यहां कभी नहीं आते। यहां कोच की कोई सुविधा नहीं है। खेल स्टेडियम के नाम पर एक भवन है। जिसके ताले बंद हैं, अंदर कुछ नहीं है।
पंकज, खिलाड़ी
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महेंद्रगढ़ में खेलों के लिए कोई सुविधा सरकार ने प्रदान नहीं की है। इसी कारण यहां नेशनल लेवल के खिलाड़ी तैैयार नहीं हो पाते। उपमंडल स्तर पर खेल सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं है। जहां पीने के लिए पानी, शौचालय तक न हो उसे खेल स्टेडियम कहना गलत होगा।
प्रवीन, खिलाड़ी