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लविवि की प्रो. पूनम टंडन समेत तीन को सरस्वती पुरस्कार, उप मुख्यमंत्री ने की घोषणा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, लखनऊ
Published by: ishwar ashish
Updated Mon, 06 Sep 2021 10:58 AM IST
सार
शिक्षक दिवस पर लखनऊ विश्वविद्यालय के तीन शिक्षकों को सरस्वती पुरस्कार प्रदान किया गया है। यह पुरस्कार उच्च शिक्षा विभाग द्वारा उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले शिक्षकों को दिया जाता है।
शिक्षक दिवस पर लखनऊ विश्वविद्यालय में सेवानिवृत्त शिक्षकों व जिले के उच्च शिक्षा के 75 शिक्षकों के सम्मान समारोह में उपमुख्यमंत्री व उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने 2019-20 के लिए सरस्वती व शिक्षक श्री पुरस्कारों की घोषणा की।
सरस्वती पुरस्कार के लिए लखनऊ विवि की भौतिक विज्ञान की विभागाध्यक्ष प्रो. पूनम टंडन, राजकीय महाविद्यालय प्रतापगढ़ के डॉ. सिकंदर लाल व कुलभाष्कर आश्रम डिग्री कॉलेज प्रयागराज के डॉ. शीतल प्रसाद वर्मा के नाम शामिल हैं।
वहीं शिक्षक श्री पुरस्कार के लिए चौधरी चरण सिंह विवि मेरठ के डॉ. राकेश गुप्ता, लखनऊ विवि के भौतिक विज्ञान विभाग के डॉ. राजेश कुमार शुक्ला, वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विवि जौनपुर की प्रो. वंदना राय, हेमवती नंदन बहुगुणा राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय नैनी, प्रयागराज के डॉ. राजेश कुमार पांडेय, फिरोज गांधी पीजी कॉलेज रायबरेली की डॉ. शीला श्रीवास्तव और एसबीडी कॉलेज धामपुर बिजनौर की डॉ. रेनू चौहान के नाम शामिल हैं।
पिछले साल कोविड-19 संक्रमण के कारण इन पुरस्कारों की घोषणा नहीं हुई थी। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले शिक्षकों को यह दोनों पुरस्कार दिए जाते हैं। इनमें नगद राशि व प्रमाण पत्र दिया जाता है। सम्मान समारोह में डॉ. शर्मा ने यह भी कहा कि शिक्षकों की चिकित्सा अवकाश समेत अन्य लंबित मांगों पर जल्द ठोस कार्रवाई होगी।
डॉ. शर्मा ने घोषणा की कि राजकीय शिक्षकों के अवकाश अब मानव संपदा पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन स्वीकृत किए जाएंगे। इसे अब संयुक्त शिक्षा निदेशक स्वीकृत करेंगे। वित्तविहीन विद्यालयों के अंशकालिक शिक्षकों की परिलब्धियों का भुगतान प्रबंध तंत्र द्वारा संबंधित के खाते में कराया जाएगा।
डॉ. शर्मा ने बताया कि राजकीय व सहायता प्राप्त विद्यालय के शिक्षकों की शिकायतों का निस्तारण भी ऑनलाइन होगा। उन्हें विभागों के चक्कर नहीं काटने होंगे। अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालय के शिक्षकों को ग्रेच्युटी दी जाएगी। राजकीय व शासकीय महाविद्यालयों में नियमित शिक्षक पीएचडी कर सकेंगे। स्ववित्तपोषित कॉलेजों के उन शिक्षकों, जिनकी मृत्यु कोविड की वजह से हुई, उन्हें सहायता देने पर भी विचार चल रहा है।
विस्तार
शिक्षक दिवस पर लखनऊ विश्वविद्यालय में सेवानिवृत्त शिक्षकों व जिले के उच्च शिक्षा के 75 शिक्षकों के सम्मान समारोह में उपमुख्यमंत्री व उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने 2019-20 के लिए सरस्वती व शिक्षक श्री पुरस्कारों की घोषणा की।
सरस्वती पुरस्कार के लिए लखनऊ विवि की भौतिक विज्ञान की विभागाध्यक्ष प्रो. पूनम टंडन, राजकीय महाविद्यालय प्रतापगढ़ के डॉ. सिकंदर लाल व कुलभाष्कर आश्रम डिग्री कॉलेज प्रयागराज के डॉ. शीतल प्रसाद वर्मा के नाम शामिल हैं।
वहीं शिक्षक श्री पुरस्कार के लिए चौधरी चरण सिंह विवि मेरठ के डॉ. राकेश गुप्ता, लखनऊ विवि के भौतिक विज्ञान विभाग के डॉ. राजेश कुमार शुक्ला, वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विवि जौनपुर की प्रो. वंदना राय, हेमवती नंदन बहुगुणा राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय नैनी, प्रयागराज के डॉ. राजेश कुमार पांडेय, फिरोज गांधी पीजी कॉलेज रायबरेली की डॉ. शीला श्रीवास्तव और एसबीडी कॉलेज धामपुर बिजनौर की डॉ. रेनू चौहान के नाम शामिल हैं।
पिछले साल कोविड-19 संक्रमण के कारण इन पुरस्कारों की घोषणा नहीं हुई थी। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले शिक्षकों को यह दोनों पुरस्कार दिए जाते हैं। इनमें नगद राशि व प्रमाण पत्र दिया जाता है। सम्मान समारोह में डॉ. शर्मा ने यह भी कहा कि शिक्षकों की चिकित्सा अवकाश समेत अन्य लंबित मांगों पर जल्द ठोस कार्रवाई होगी।
अवकाश आवेदन व शिकायतों का निस्तारण अब ऑनलाइन
डॉ. शर्मा ने घोषणा की कि राजकीय शिक्षकों के अवकाश अब मानव संपदा पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन स्वीकृत किए जाएंगे। इसे अब संयुक्त शिक्षा निदेशक स्वीकृत करेंगे। वित्तविहीन विद्यालयों के अंशकालिक शिक्षकों की परिलब्धियों का भुगतान प्रबंध तंत्र द्वारा संबंधित के खाते में कराया जाएगा।
डॉ. शर्मा ने बताया कि राजकीय व सहायता प्राप्त विद्यालय के शिक्षकों की शिकायतों का निस्तारण भी ऑनलाइन होगा। उन्हें विभागों के चक्कर नहीं काटने होंगे। अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालय के शिक्षकों को ग्रेच्युटी दी जाएगी। राजकीय व शासकीय महाविद्यालयों में नियमित शिक्षक पीएचडी कर सकेंगे। स्ववित्तपोषित कॉलेजों के उन शिक्षकों, जिनकी मृत्यु कोविड की वजह से हुई, उन्हें सहायता देने पर भी विचार चल रहा है।
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