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हाईकोर्ट की दो टूक: धर्मोपदेश देना और बाइबिल बांटना अपराध नहीं, राज्य सरकार से मांगा गया जवाब
अमर उजाला नेटवर्क, लखनऊ
Published by: रोहित मिश्र
Updated Tue, 09 Dec 2025 08:47 AM IST
सार
Lucknow High Court: लखनऊ हाईकोर्ट ने धर्मांतरण के मामले पर सरकार पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि धर्म के उपदेश देना और बाइबिल बांटना अपराध नहीं है।
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धर्मांतरण का खेल (सांकेतिक तस्वीर)
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने अवैध धर्मांतरण के एक मामले में पुलिस की कार्रवाई पर कड़ा रुख अपनाया है। अदालत ने कहा, धर्मोपदेश देना और बाइबिल बांटना अपराध नहीं है। मामले में राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
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न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन और न्यायमूर्ति बबिता रानी की खंडपीठ ने यह आदेश राम केवल प्रसाद व अन्य आरोपियों की याचिका पर दिया। इसमें याचियों के खिलाफ सुल्तानपुर जिले के धम्मौर थाने में अवैध धर्मांतरण निवारण कानून 2021 समेत भारतीय न्याय संहिता 2023 के तहत दर्ज एफआईआर को रद्द करने का आग्रह किया गया है।
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वादी मनोज कुमार सिंह की ओर से 17 अगस्त 2025 को दर्ज कराई एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि याचियों ने प्रार्थना सभा करके दलितों, गरीबों, महिलाओं व बच्चों को बाइबिल बांटी और उनका धर्मांतरण कराने का प्रयास किया। याचियों के अधिवक्ता ने कहा कि झूठी एफआईआर दर्ज करवाई गई है जो रद्द करने योग्य है।
इस पर सरकारी वकील ने याचिका का विरोध किया लेकिन कोर्ट में यह नहीं साबित कर पाए कि बाइबिल बांटना और धर्मोपदेश देना अपराध है। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सरकारी वकील को चार बिंदुओं पर जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। कहा, इसके बाद दो सप्ताह में याची इसका प्रतिउत्तर दाखिल कर सकते हैं। कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए मामले को छह सप्ताह बाद सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है।