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यूपी में बिजली संकट : अनपरा और हरदुआगंज में कोयला संकट, पारीछा में एक इकाई बंद

अमर उजाला नेटवर्क, सोनभद्र/झांसी/अलीगढ़ Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Fri, 15 Oct 2021 04:58 AM IST
सार

अनपरा ए और बी परियोजनाओं में अब एक दिन का भी नहीं बचा है कोयला। रेलवे रैक से कोयला पहुंचने से अनपरा डी में दो दिन का कोयला शेष।

Power crisis in UP: Coal crisis in Anpara and Harduaganj, one unit closed in Parichha
electricity plant

विस्तार

अनपरा परियोजना में कोयला संकट चरम पर पहुंच गया है। अनपरा ए व बी परियोजना में जहां एक दिन का भी कोयला नहीं बचा है, वहीं डी परियोजना में भी महज दो दिन का कोयला शेष है। रेलवे रैक से कोयला पहुंचने से डी परियोजना को थोड़ी राहत मिली है।



कोल खदान के मुहाने पर स्थित अनपरा परियोजना में कोयला संकट समुद्र के किनारे रहकर प्यासे रहने की उक्ति को चरितार्थ कर रहा है। स्थिति यह है कि 630 मेगावाट की अनपरा ए का स्टॉक जहां सिमटकर 9603.58 एमटी (मीट्रिक टन) पहुुंच गया है। वहीं 1000 मेगावाट की बी परियोजना में कोयले का स्टॉक 14022.18 एमटी रह गया है। इतना कोयला दोनों परियोजनाओं के एक दिन के संचालन के लिए भी नाकाफी है। 


अनपरा डी परियोजना में 35047.82 एमटी कोयले का स्टॉक है। इससे निगम की नवीनतम परियोजना से दो दिन तक विद्युत उत्पादन हो सकता है। दूसरी तरफ प्रदेश सरकार के त्योहारी सीजन में रात्रि में किसी भी स्थिति में कटौती न करने के फरमान से पीक आवर में शाम छह बजे से रात 11 बजे तक इकाइयों के फुल लोड पर चलाए जाने से प्रबंधन की मुश्किलें बढ़ गई हैं। बृहस्पतिवार सुबह परियोजना में कुल कोयले का स्टॉक 58673.58 एमटी रहा।

सड़क मार्ग से कोल परिवहन की संभावना तलाशने के निर्देश
बिजली घरों में व्याप्त कोयला संकट को देखते हुए सभी बिजली घरों को रैक से कोयला आपूर्ति करने का रेलवे पर दबाव है। इसके कारण बिजली घरों को कोयला आपूर्ति का निर्धारण करने वाली सब ग्रुप की बैठक में कोल खदानों के 30 किमी की परिधि में स्थित विद्युत परियोजनाओं को सड़क मार्ग से कोयला परिवहन की संभावनाएं तलाशने के निर्देश दिए गए हैं। परियोजना प्रबंधन इस दिशा में प्रस्ताव बनाने की तैयारी कर रहा है। 

पारीछा प्लांट को आठ हजार टन मिला कोयला, चौथी इकाई नहीं हो सकी चालू
पारीछा थर्मल पावर प्लांट को बृहस्पतिवार को दो मालगाड़ी कोयला (आठ हजार टन) और मिल गया। इससे बिगड़ रही स्थिति संभल गई है। कोयला न मिलने पर एक इकाई को बंद करने की स्थिति बन सकती थी। अभी प्लांट की चार में से तीन इकाइयों से उत्पादन किया जा रहा है। इसी तरह ललितपुर स्थित बजाज पावर प्लांट में तीन में से दो इकाइयों से उत्पादन चल रहा है। यहां की एक इकाई तकनीकी खराबी से मंगलवार से बंद है। वर्तमान में दोनों प्लांटों में 2030 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है।

हरदुआगंज में रोजाना 9000 टन की मांग, 3800 टन कोयला ही मिल रहा
हरदुआगंज तापीय परियोजना कासिमपुर में भी कोयले ने चिंता का ताप बढ़ा रखा है। हालात की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां महज एक दिन का कोयला स्टॉक में रहता है। अगर दूसरे दिन मालगाड़ी कोयला लेकर न पहुंचे तो पावर हाउस की यूनिटें बंद करनी पड़ जाती हैं। यही नहीं, वर्तमान में यहां चल रही 250-250 मेगावाट की दो यूनिटों में ही पूरी क्षमता से उत्पादन नहीं हो पा रहा है, क्योंकि इन यूनिटों को ही रोजाना 9000 टन कोयले की जरूरत है और आपूर्ति  केवल 3800 टन की मिल रही है।

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