प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं के लिए अच्छी खबर है। उन्हें अगले महीने से बिजली के बिल में अब थोड़ी राहत मिलेगी।
विद्युत नियामक आयोग ने रेग्युलेटरी रसचार्ज 1 की अवधि खत्म हो जाने पर इसे हटाने का आदेश दिया है। अब उपभोक्ताओं को 2.84 प्रतिशत बिजली का बिल कम देना पड़ेगा।
वहीं मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के उपभोक्ताओं को कम राहत मिलेगी क्योंकि यहां रेग्युलेटरी सरचार्ज 1
0.73 प्रतिशत ही है। इन उपभोक्ताओं को एक हजार रुपये के बिल में मात्र 7.30 रुपये की राहत मिलेगी।
सबसे ज्यादा सरचार्ज पश्चिमांचल में 2.84 प्रतिशत है वहीं पूर्वांचल में 1.03 प्रतिशत सरचार्ज वसूल किया जा रहा है।
वहीं 2.38 फीसदी रेग्युलेटरी सरचार्ज 2 अभी प्रभावी रहेगा। उपभोक्ता परिषद का कहना है कि अब 2.38 फीसदी द्वितीय रेग्युलेटरी सरचार्ज को समाप्त करने का भी दबाव बनाया जाएगा।
बीते वर्षों में बिजली की लागत और राजस्व के अंतर की भरपाई के लिए राज्य विद्युत नियामक आयोग ने बिजली कंपनियों को दो रेग्युलेटरी सरचार्ज लगाने की अनुमति दी है।
वर्ष 2014-15 का रेग्युलेटरी चार्ज पूर्व में 2.84 फीसदी तय किया गया था। आयोग ने बिजली कंपनियों की परफार्मेंस का आकलन करने के बाद पिछले साल अप्रैल में अलग-अलग कपंनी के लिए अलग-अलग सरचार्ज तय किया था।
2014-16 के सरचार्ज की वसूली मार्च 2016 तक की जानी थी जबकि 2015-16 के 2.38 फीसदी सरचार्ज के लिए अभी कोई अवधि तय नहीं की गई है। पहले सरचार्ज की अवधि खत्म हो जाने के बाद इसे हटाने का आदेश सोमवार को दे दिया गया है।
प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं के लिए अच्छी खबर है। उन्हें अगले महीने से बिजली के बिल में अब थोड़ी राहत मिलेगी।
विद्युत नियामक आयोग ने रेग्युलेटरी रसचार्ज 1 की अवधि खत्म हो जाने पर इसे हटाने का आदेश दिया है। अब उपभोक्ताओं को 2.84 प्रतिशत बिजली का बिल कम देना पड़ेगा।
वहीं मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के उपभोक्ताओं को कम राहत मिलेगी क्योंकि यहां रेग्युलेटरी सरचार्ज 1
0.73 प्रतिशत ही है। इन उपभोक्ताओं को एक हजार रुपये के बिल में मात्र 7.30 रुपये की राहत मिलेगी।
सबसे ज्यादा सरचार्ज पश्चिमांचल में 2.84 प्रतिशत है वहीं पूर्वांचल में 1.03 प्रतिशत सरचार्ज वसूल किया जा रहा है।
वहीं 2.38 फीसदी रेग्युलेटरी सरचार्ज 2 अभी प्रभावी रहेगा। उपभोक्ता परिषद का कहना है कि अब 2.38 फीसदी द्वितीय रेग्युलेटरी सरचार्ज को समाप्त करने का भी दबाव बनाया जाएगा।