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कफ सिरप कांड की कहानी : अमित की गिरफ्तारी के बाद सामने आया यूपी कनेक्शन, ED की रडार पर पूर्वांचल के बाहुबली
सार
मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत के बाद शुरू हुई जांच यूपी में 2000 करोड़ रुपये के कफ सिरप तस्करी नेटवर्क तक पहुंची, जिसमें शुभम जायसवाल, अमित सिंह टाटा और आलोक सिंह जैसे नाम प्रमुख आरोपियों में शामिल बताए जा रहे हैं।
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कफ सिरप कांड
- फोटो : अमर उजाला नेटवर्क
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विस्तार
मध्य प्रदेश में कफ सिरप पीने से हुई बच्चों की मौत के बाद यूपी में छापेमारी शुरू हुई। यूपी में अब तक तीन गिरफ्तारी हो चुकी हैं। बता दें कि यूपी में जो कफ सीरप पकड़ा गया, उसमें कोडीन की मात्रा अधिक पाई गई। इसलिए उसे कोडीन मिक्स कफ सीरप कहा गया। जो अक्सर नशे के लिए इस्तेमाल किया जाता था। इस दौरान कई बड़े नाम भी सामने आए हैं। आलोक सिंह, अमित सिंह टाटा और शुभम जायसवाल।
इनकी तिकड़ी को इस सिंडीकेट का असली संचालक माना जा रहा है। इनकी पूर्व सांसद धनंजय सिंह के साथ उनकी तमाम फोटो और वीडियो एजेंसियों के लिए जांच का विषय बनती जा रही हैं। फर्जी फर्मों के जरिए वाराणसी का दवा व्यापारी इस पूरे सिंडिकेट का किंगपिन बताया जा रहा है। कोडीन मिक्स कफ सिरप की सप्लाई के सिंडिकेट को शुभम जायसवाल फर्जी फर्मों के जरिए चला रहा था।
गाजियाबाद, वाराणसी में गोदाम बनाकर इस कफ सिरप की सप्लाई यूपी से झारखंड, पश्चिम बंगाल से बांग्लादेश और बिहार से नेपाल तक की जा रही थी। अब एसटीएफ अमित सिंह टाटा, विभोर राणा, विशाल सिंह के साथ आलोक सिंह को भी रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी।
देश के तमाम राज्यों और बांग्लादेश आदि देशों में नशीले कफ सिरप की तस्करी के बारे में तथ्य जुटाएगी। आखिर कफ सिरप कांड में यूपी की एंट्री कैसे हो गई? कौन-कौन लोग इसमें शामिल हैं? किन के नाम सामने आ सकते हैं? इस पर ईडी और एसटीफ की जांच कहां तक पहुंची है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट...
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इनकी तिकड़ी को इस सिंडीकेट का असली संचालक माना जा रहा है। इनकी पूर्व सांसद धनंजय सिंह के साथ उनकी तमाम फोटो और वीडियो एजेंसियों के लिए जांच का विषय बनती जा रही हैं। फर्जी फर्मों के जरिए वाराणसी का दवा व्यापारी इस पूरे सिंडिकेट का किंगपिन बताया जा रहा है। कोडीन मिक्स कफ सिरप की सप्लाई के सिंडिकेट को शुभम जायसवाल फर्जी फर्मों के जरिए चला रहा था।
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गाजियाबाद, वाराणसी में गोदाम बनाकर इस कफ सिरप की सप्लाई यूपी से झारखंड, पश्चिम बंगाल से बांग्लादेश और बिहार से नेपाल तक की जा रही थी। अब एसटीएफ अमित सिंह टाटा, विभोर राणा, विशाल सिंह के साथ आलोक सिंह को भी रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी।
देश के तमाम राज्यों और बांग्लादेश आदि देशों में नशीले कफ सिरप की तस्करी के बारे में तथ्य जुटाएगी। आखिर कफ सिरप कांड में यूपी की एंट्री कैसे हो गई? कौन-कौन लोग इसमें शामिल हैं? किन के नाम सामने आ सकते हैं? इस पर ईडी और एसटीफ की जांच कहां तक पहुंची है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट...
पूर्व सांसद धनंजय सिंह के साथ अमित टाटा की तस्वीर वायरल हुई थी।
- फोटो : सोशल मीडिया
ईडी के निशाने पर ये लोग
ईडी के निशाने पर खासकर मुख्य आरोपियों में शामिल शुभम जायसवाल, अमित सिंह टाटा, बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह, विभोर राणा, विशाल सिंह, भोला जायसवाल, आसिफ, वसीम, सौरभ त्यागी समेत 50 से ज्यादा आरोपी हैं, जिनके खिलाफ वाराणसी, जौनपुर, सोनभद्र, गाजियाबाद, लखनऊ, भदोही, चंदौली, सुल्तानपुर, गाजीपुर आदि जिलों में एफआईआर दर्ज हो चुकी है। इन सभी की फर्मों के जरिए हुए लेन-देन का ब्योरा जुटाया जा रहा है।बाहुबलियों की कुंडली भी पता लगा रहे
ईडी के अधिकारी इस मामले में पूर्वांचल के दो बाहुबलियों और राजनेताओं की कुंडली भी खंगाल रहे हैं, जो शुभम जायसवाल को संरक्षण दे रहे थे। इनमें एक बाहुबली को शुभम द्वारा प्रोटेक्शन मनी भी देने के सुराग मिले हैं। पूर्व सांसद रह चुके इस बाहुबली की कंपनियों के जरिए हुए लेन-देन का पता भी लगाया जा रहा है।इसका जिम्मा ईडी की प्रयागराज यूनिट को सौंपा गया है। इसके अलावा खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन के उन अधिकारियों का नाम भी पता लगाए जा रहे हैं, जिन्होंने इन फर्मों को लाइसेंस दिया था। इनमें एक सहायक आयुक्त की भूमिका की गहनता से जांच हो रही है।
कफ सिरप कांड: बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह गिरफ्तार।
- फोटो : अमर उजाला
एसआईटी तैयार कर रही गैंगचार्ट
वहीं दूसरी ओर वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट इस प्रकरण की जांच के लिए गठित एसआईटी आरोपियों का गैंग चार्ट तैयार कर रही है, जिसके बाद उनके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई की जाएगी। सभी आरोपियों की संपत्तियों को चिन्हित कर उन्हें जब्त किया जाएगा। वाराणसी के पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने बताया कि एसआईटी तेजी से इस मामले की जांच कर रही है। रिपोर्ट मिलने के बाद उसे शासन भेजा जाएगा।छह जिलों में 11 फर्मों पर एफआईआर
खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग ने अब तक छह जिलों में 11 फर्मों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। इन फर्मों की जांच में तमाम अनियमितताएं मिलने के बाद बीएनएस और एनडीपीएस एक्ट के तहत केस दर्ज कराए गए हैं। इसमें जौनपुर की चार फर्में वान्या इंटरप्राइजेज, आकाश मेडिकल स्टोर, मनीष मेडिकल स्टोर और शिवम मेडिकल स्टोर शामिल हैं। इसके अलावा भदोही, सोनभद्र, लखीमपुर खीरी, प्रयागराज और बहराइच की फर्में भी शामिल हैं। बता दें कि विभाग द्वारा अब तक नौ जिलों में 98 एफआईआर दर्ज कराई जा चुकी हैं।ऐसे चलता था तस्करी नेक्सस
अमित सिंह टाटा ने पूछताछ में कबूला कि शुभम ने धनबाद में देव कृपा मेडिकल एजेंसी और वाराणसी में श्री मेडिकल नाम से फर्जी फर्में बनवाईं।सारा लेन-देन शुभम और उसकी टीम संभालती थी। शुभम ने अमित को लालच दिया कि कफ सिरप तस्करी से 5 लाख रुपये लगाकर 30 लाख रुपये कमाए जा सकते हैं। कफ सिरप का सबसे बड़ा बाजार पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में है। सिरप फर्जी बिल और ई-वे बिल बनाकर भेजा जाता था।एसटीएफ की पूछताछ में टाटा ने कहा कि एबॉट कंपनी के अधिकारियों की मिलीभगत से 100 करोड़ से अधिक का फेंसिडिल खरीदा गया। कंपनी ने बाद में उत्पादन रोक दिया, लेकिन शुभम की फर्में फिर भी सुपर स्टॉकिस्ट बनी रहीं, जिससे फर्जीवाड़ा साबित होता है।
ऐसे शुरू हुई जांच
नकली कफ सिरप मामले की जांच फरवरी 2024 में शुरू हुई। इस दौरान कई राज्यों में फेंसिडिल की अवैध सप्लाई की खबरें सामने आई थीं। यूपी सरकार ने एसटीएफ और फूड एंड ड्रग विभाग की संयुक्त टीम बनाई।लखनऊ के सुशांत गोल्फ सिटी थाने में भारी मात्रा में सिरप मिलने के बाद एफआईआर दर्ज हुई। मामले में अमित टाटा की गिरफ्तारी और शुभम की एंट्री हुई। गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में टाटा ने बताया कि आजमगढ़ के विकास सिंह ने उसका परिचय शुभम से कराया।
टाटा ने कहा कि शुभम ने बताया कि रांची में उसका बड़ा नेटवर्क है और भारी मुनाफा मिलता है। इसके बाद फर्में बनाई गईं। टाटा ने पैसा लगाया, मुनाफा लिया और रैकेट चल निकला। टाटा ने ये भी कहा कि शुभम अपने परिवार और पार्टनरों के साथ पहले ही दुबई भाग चुका है।
मामले का सियासी कनेक्शन
सूत्रों का दावा है कि शुभम जायसवाल यूपी की विधान परिषद (MLC) की सदस्यता पाने की कोशिश में था। बड़े नेताओं से संपर्क बनाने और बाहुबलियों का समर्थन जुटाने में लगा था। किसी को कार गिफ्ट करने की तैयारी, किसी को अलग तरीके से साधने के प्रयास की बात भी सामने आई है। अमित टाटा खुद भी सियासी समीकरण में उतरना चाहता था। उनके फेसबुक पर 'लक्ष्य 2026- रामपुर ब्लॉक प्रमुख' का पोस्ट मिला है।सिंडीकेट करीब 2000 करोड़ रुपये का कारोबार कर चुका
नशीले कफ सिरप की तस्करी करने वाला सिंडीकेट करीब 2000 करोड़ रुपये का कारोबार कर चुका है। ईडी की प्रारंभिक पड़ताल में यह खुलासा हुआ है। इस सिंडीकेट की जड़ें इतनी गहरी हैं कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारी भी हैरत में पड़ गए हैं। फिलहाल सिंडीकेट की सारी कड़ियों को जोड़ा जा रहा है ताकि उनको संरक्षण देने वाले बाहुबलियों और सफेदपोशों के चेहरों को भी उजागर किया जा सके।सूत्रों की मानें तो ईडी के अधिकारी इस मामले में एसटीएफ, एसआईटी, जिलों की पुलिस और खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन द्वारा अब तक की गई कार्रवाई का ब्योरा जुटा चुके हैं। अधिकारियों के मुताबिक इस सिंडीकेट द्वारा तीन राज्यों और विदेश में करीब 2000 करोड़ रुपये की कफ सिरप की तस्करी की गई है।
जांच में आरोपियों की तमाम कंपनियों, फर्मों और संपत्तियों का भी पता चल रहा है। वहीं जिन फर्जी फर्मों के जरिये यह अवैध कारोबार हो रहा था, उनके बैंक खातों में भी बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां मिल रही हैं। फिलहाल ईडी की लखनऊ और प्रयागराज की टीमें पूरे प्रकरण की गहनता से छानबीन करने में जुटी हैं।
कफ सिरफ कांड
- फोटो : अमर उजाला नेटवर्क
बर्खास्त सिपाही के खिलाफ लुकआउट जारी
वहीं दूसरी ओर इस मामले में आरोपी बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह की गिरफ्तारी के लिए एसटीएफ ने लुक आउट सर्कुलर जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। दरअसल, एसटीएफ तमाम कोशिशों के बावजूद अभी तक उसे तलाश नहीं पाई है। उसके ठिकानों पर एसटीएफ के छापों में भी कोई अहम सुराग हाथ नहीं लगा है।सूत्रों की मानें तो आलोक सिंह ने राजधानी की एक अदालत में चार दिन पहले आत्मसमर्पण करने की अर्जी भी डाली है। वह गाजियाबाद में दर्ज प्राथमिकी में नामजद है, लखनऊ में दर्ज प्राथमिकी की विवेचना में उसका नाम बढ़ाया गया है।
वहीं सिंडीकेट के आरोपियों को लगातार संरक्षण देने वाले माफिया से भी एसटीएफ अभी तक पूछताछ नहीं कर सकी है। आरोपियों के साथ गहरी सांठगांठ होने के बावजूद उसे तलब नहीं करने से एसटीएफ की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं।
कफ सिरफ कांड
- फोटो : अमर उजाला नेटवर्क
दुबई ले जाने वाले विशाल की तलाश
इसके अलावा अमित सिंह टाटा और आलोक सिंह को अपने साथ दुबई ले जाने वाले जौनपुर निवासी विशाल सिंह को भी तलाशा जा रहा है। विशाल सिंह एक पूर्व ब्यूरोक्रेट का करीबी बताया जाता है और राजधानी में रियल एस्टेट का कारोबार करता है। वह भी बाहुबली के प्रभाव का इस्तेमाल कर सुल्तानपुर रोड पर जमीनों की खरीद-फरोख्त करता है। एसटीएफ को उससे पूछताछ में आरोपियों के दुबई कनेक्शन के बारे में अहम जानकारियां मिलने की उम्मीद है।धनंजय सिंह की आई सफाई
धनंजय सिंह ने फेसबुक पर लंबी पोस्ट लिखकर अपनी सफाई दी है। उन्होंने लिखा-हमारे नाम को बदनाम करने की कोशिश हो रही है। उन्होंने यह मामला कांग्रेस की ओर से प्रधानमंत्री की छवि धूमिल करने की साजिश बताया। उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर सीबीआई जांच की मांग की है। पूर्व सांसद ने दावा किया है कि वे मामले से जुड़े नहीं हैं और सच सामने आने पर सब साफ हो जाएगा।वहीं इस मामले में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने हमलावर रुख अपनाते हुए कहा कि बीजेपी माफियाजीवी पार्टी है। कभी एनकाउंटर माफिया, कभी कफ सिरप माफिया, कभी नीट माफिया, सब भाजपा में हैं। घोटाले में सामने आए नामों को लेकर उन्होंने योगी सरकार पर सवाल खड़े किए।