UP: व्हॉट्सएप ग्रुप से रिश्वतखोरी का खेल कर रहे थे दलाल, अधिकारियों-कर्मचारियों को पहले ही भेज देते थे सूची
दलाल खेल में शामिल अधिकारी व कर्मचारी को वाहनों के नंबर की सूची भेज देते हैं। सूची में दर्ज नंबर की गाड़ी को किसी भी हाल में नहीं रोका जाता। जानें, कैसे चल रहा था दलाली का खेल?
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ओवरलोडेड ट्रक, डंपर पास करने के लिए दलाल रिश्वतखोरी का खेल व्हॉट्सएप से चला रहे थे। बृहस्पतिवार को पकड़े गए दलाल अभिनव पांडेय के मोबाइल फोन में UNDERLOD01 नाम का व्हॉट्सएप ग्रुप एसटीएफ को मिला है, जिससे 122 लोग जुड़े हैं।
अभिनव ने बताया कि वे लोग कभी-कभी रिश्वत की रकम और वाहनों की सूची सीधे अधिकारियों को दे देते थे। कुछ अफसर सीधे रिश्वत न लेकर ड्राइवर व अधीनस्थों के माध्यम से डीलिंग करते थे। पूछताछ में यह भी सामने आया कि लखनऊ की तरह अन्य जनपदों में दलाल सेटिंग करके ओवरलोड वाहन पास कराने का काम करते थे।
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आरोपी डंपर चालक कपिल ने बताया कि उसके मालिक ने ओवरलोडेड वाहन को हमीरपुर से लखनऊ व पूर्वांचल तक चलाने के लिए दलालों को रुपये देकर सेटिंग कर रखी है। दलाल खेल में शामिल अधिकारी व कर्मचारी को वाहनों के नंबर की सूची भेज देते हैं। सूची में दर्ज नंबर की गाड़ी को किसी भी हाल में नहीं रोका जाता।
वजन कम करने के लिए हटा दिए
डंपर के दो टायर एसटीएफ ने मौरंग लदे डंपर को चेक किया तो पता चला कि यह 14 चक्के का है, लेकिन उसके दो टायर गायब हैं। धंधे से जुड़े लोग बताते हैं कि टायर कम करके इनके वजन के बराबर का माल लोड किया जाता है।
वसूली की रकम से दलाल ने खरीदी कार
मूल रूप से सीतापुर निवासी दलाल अभिनव मड़ियांव के शेरवानीनगर में रहता है। उसके पास से कार बरामद हुई है। इसे उसने वसूली के रुपये से लोन पर खरीदा था। अब एसटीएफ और पुलिस की टीम इस गोरखधंधे से जुड़े अन्य आरोपियों की तलाश में लगी है। केस में नामजद किए गए परिवहन विभाग के अधिकारियों से भी जल्द एसटीएफ और पुलिस की टीम पूछताछ करेगी।
अफसरों पर 'मुखबिर' की पैनी नजर
राजधानी की सड़कों पर 'मुखबिर' के भरोसे पर ओवरलोड वाहन दौड़ रहे हैं। वाहन मालिकों की ओर से रखे गए ये लोग परिवहन अफसरों पर नजर रखकर उनकी गतिविधियों की जानकारी देते हैं। इसके बदले इन्हें 10-15 हजार रुपये महीना तनख्वाह मिलती है। खास बात यह है कि मुखबिर अफसरों के लिए भी काम करते हैं। ये मुखबिर पूरे प्रदेश में ओवरलोड वाहनों के दौड़ने में अहम भूमिका अदा करते हैं। इन्हें उन अफसरों के आसपास रखा जाता है, जो प्रवर्तन से जुड़े हों और जिनके पास वाहनों की जांच का जिम्मा रहता है।
सूत्र बताते हैं कि ऐसे मुखबिरों का तंत्र अफसरों के पास भी रहता है, जो ओवरलोडिंग कर गुजरने वाले वाहनों की सूचना देते हैं। ये अफसरों की लाइव लोकेशन व्हॉट्सएप ग्रुप पर अपने मालिकों को देते हैं।
डीटीसी ने दिए जांच के आदेश एसटीएफ की कार्रवाई के बाद डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर की ओर से आरटीओ, प्रवर्तन प्रभात कुमार पांडेय को मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं। लखनऊ ही नहीं, फतेहपुर, उन्नाव व अन्य जगहों पर जांच कराकर रिपोर्ट जमा करनी होगी।