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Bhopal News: रवांडा में लागू होगा भोपाल के सरकारी अस्पताल का मॉडल, राजधानी पहुंचा अफ्रीकी प्रतिनिधिमंडल
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल
Published by: संदीप तिवारी
Updated Thu, 13 Nov 2025 07:04 PM IST
सार
भोपाल के शासकीय काटजू चिकित्सालय का मॉडल अब अफ्रीकी देश रवांडा में लागू होगा। मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं की समीक्षा के लिए आए रवांडा प्रतिनिधिमंडल ने अस्पताल की व्यवस्थाओं, विशेषकर मानव मिल्क बैंक और शक्ति सेंटर की पहल को सराहते हुए कहा कि यह मॉडल उनके देश में स्वास्थ्य तंत्र को मजबूत करने में मदद करेगा।
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रवांडा से आए प्रतिनिधिमंडल
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
भारत के स्वास्थ्य ढांचे से प्रेरणा लेते हुए अब रवांडा (अफ्रीका) अपने देश में भोपाल के शासकीय कैलाशनाथ काटजू चिकित्सालय के मॉडल को अपनाने की तैयारी कर रहा है। मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त बनाने और अनुभव साझा करने के उद्देश्य से गुरुवार को रवांडा से आए प्रतिनिधिमंडल ने अस्पताल का दौरा किया।
अफ्रीकी प्रतिनिधिमंडल ने किया निरीक्षण
रवांडा बायोमेडिकल सेंटर के डॉ. फ्रेंकोइस रेगिस साइज़ा, स्वास्थ्य मंत्रालय की एस्पेरेंस एनडेंगा, और यूएनएफपीए रवांडा क मैरी क्लेयर इरियान्यावेरा के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने अस्पताल की विभिन्न इकाइयों का अवलोकन किया। इस टीम के साथ यूएनएफपीए मध्य प्रदेश से सुनील थॉमस (राज्य प्रमुख) और अनुराग सोनवाल्कर (राज्य कार्यक्रम अधिकारी) भी उपस्थित रहे।
मानव मिल्क बैंक और शक्ति सेंटर से प्रभावित हुए प्रतिनिधि
प्रतिनिधियों ने शक्ति प्रिवेंटिव गायनेकोलॉजी सेंटर, मानव मिल्क बैंक, लेबर रूम, एएनसी/पीएनसी वार्ड, और अस्पताल की रोगी-केंद्रित सेवा प्रणाली का बारीकी से निरीक्षण किया। नोडल अधिकारी डॉ. रचना दुबे ने टीम को अस्पताल की संरचना, प्रक्रियाओं और मातृ-शिशु स्वास्थ्य के लिए अपनाए जा रहे प्रोटोकॉल की जानकारी दी। प्रतिनिधियों ने विशेष रूप से मानव मिल्क बैंक को एक अभिनव और प्रेरणादायक पहल बताते हुए कहा कि यह मॉडल रवांडा में भी लागू किया जाएगा ताकि नवजात शिशुओं को बेहतर पोषण और देखभाल मिल सके।
अस्पताल की स्वच्छता और प्रबंधन की सराहना
निरीक्षण के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने अस्पताल की स्वच्छता व्यवस्था, सुव्यवस्थित प्रबंधन और स्टाफ की कार्यशैली की तारीफ की। अधीक्षक डॉ. बलराम उपाध्याय ने अस्पताल की कार्यप्रणाली और सेवा विस्तार की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अस्पताल में प्रतिदिन सैकड़ों मरीजों को मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाएं मिल रही हैं और इसे और उन्नत करने के लिए निरंतर प्रयास जारी हैं।
भारत का अनुभव हमारे लिए प्रेरणास्रोत
रवांडा टीम के प्रमुख डॉ. फ्रेंकोइस रेगिस साइज़ा ने कहा कि भारत ने मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य किया है। उन्होंने कहा, भोपाल के इस सरकारी अस्पताल में हमने जो व्यवस्थाएं देखीं, वे हमारे लिए प्रेरणादायक हैं। मानव मिल्क बैंक और शक्ति सेंटर जैसे मॉडल को हम रवांडा में लागू करना चाहेंगे।
यह भी पढ़ें-मोहन भागवत के बयान पर दिग्विजय सिंह का पलटवार,कहा-हिंदू धर्म की तुलना संघ से करना सनातन धर्म का अपमान
आधुनिक तकनीक और नवाचारों का प्रयोग
डॉ. रचना दुबे ने बताया कि कैलाशनाथ काटजू चिकित्सालय में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त करने के लिए आधुनिक तकनीक और नवाचारों का प्रयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि शक्ति सेंटर महिलाओं के स्वास्थ्य सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। हमारा प्रयास है कि यहां की प्रत्येक सुविधा अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरा उतरे।
यह भी पढ़ें-एम्स भोपाल के डॉक्टरों ने दुबई में बढ़ाया भारत का मान, पेश की हाथ और कलाई सर्जरी की नई तकनीकें
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिलेगी पहचान
रवांडा प्रतिनिधिमंडल ने दौरे के अंत में कहा कि वे भोपाल के सरकारी अस्पताल के मॉडल को अपने देश के स्वास्थ्य ढांचे में आदर्श उदाहरण” के रूप में शामिल करेंगे।उन्होंने भारत सरकार और मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग की नवोन्मेषी पहलों की सराहना करते हुए इसे भारत-रवांडा स्वास्थ्य सहयोग का नया अध्याय बताया।
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अफ्रीकी प्रतिनिधिमंडल ने किया निरीक्षण
रवांडा बायोमेडिकल सेंटर के डॉ. फ्रेंकोइस रेगिस साइज़ा, स्वास्थ्य मंत्रालय की एस्पेरेंस एनडेंगा, और यूएनएफपीए रवांडा क मैरी क्लेयर इरियान्यावेरा के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने अस्पताल की विभिन्न इकाइयों का अवलोकन किया। इस टीम के साथ यूएनएफपीए मध्य प्रदेश से सुनील थॉमस (राज्य प्रमुख) और अनुराग सोनवाल्कर (राज्य कार्यक्रम अधिकारी) भी उपस्थित रहे।
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मानव मिल्क बैंक और शक्ति सेंटर से प्रभावित हुए प्रतिनिधि
प्रतिनिधियों ने शक्ति प्रिवेंटिव गायनेकोलॉजी सेंटर, मानव मिल्क बैंक, लेबर रूम, एएनसी/पीएनसी वार्ड, और अस्पताल की रोगी-केंद्रित सेवा प्रणाली का बारीकी से निरीक्षण किया। नोडल अधिकारी डॉ. रचना दुबे ने टीम को अस्पताल की संरचना, प्रक्रियाओं और मातृ-शिशु स्वास्थ्य के लिए अपनाए जा रहे प्रोटोकॉल की जानकारी दी। प्रतिनिधियों ने विशेष रूप से मानव मिल्क बैंक को एक अभिनव और प्रेरणादायक पहल बताते हुए कहा कि यह मॉडल रवांडा में भी लागू किया जाएगा ताकि नवजात शिशुओं को बेहतर पोषण और देखभाल मिल सके।
अस्पताल की स्वच्छता और प्रबंधन की सराहना
निरीक्षण के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने अस्पताल की स्वच्छता व्यवस्था, सुव्यवस्थित प्रबंधन और स्टाफ की कार्यशैली की तारीफ की। अधीक्षक डॉ. बलराम उपाध्याय ने अस्पताल की कार्यप्रणाली और सेवा विस्तार की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अस्पताल में प्रतिदिन सैकड़ों मरीजों को मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाएं मिल रही हैं और इसे और उन्नत करने के लिए निरंतर प्रयास जारी हैं।
भारत का अनुभव हमारे लिए प्रेरणास्रोत
रवांडा टीम के प्रमुख डॉ. फ्रेंकोइस रेगिस साइज़ा ने कहा कि भारत ने मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य किया है। उन्होंने कहा, भोपाल के इस सरकारी अस्पताल में हमने जो व्यवस्थाएं देखीं, वे हमारे लिए प्रेरणादायक हैं। मानव मिल्क बैंक और शक्ति सेंटर जैसे मॉडल को हम रवांडा में लागू करना चाहेंगे।
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आधुनिक तकनीक और नवाचारों का प्रयोग
डॉ. रचना दुबे ने बताया कि कैलाशनाथ काटजू चिकित्सालय में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त करने के लिए आधुनिक तकनीक और नवाचारों का प्रयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि शक्ति सेंटर महिलाओं के स्वास्थ्य सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। हमारा प्रयास है कि यहां की प्रत्येक सुविधा अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरा उतरे।
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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिलेगी पहचान
रवांडा प्रतिनिधिमंडल ने दौरे के अंत में कहा कि वे भोपाल के सरकारी अस्पताल के मॉडल को अपने देश के स्वास्थ्य ढांचे में आदर्श उदाहरण” के रूप में शामिल करेंगे।उन्होंने भारत सरकार और मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग की नवोन्मेषी पहलों की सराहना करते हुए इसे भारत-रवांडा स्वास्थ्य सहयोग का नया अध्याय बताया।