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Bmhrc Bhopal: अब सिकल सेल एनीमिया की जांच होगी और अधिक सटीक, बीएमएचआरसी में डीएनए सीक्वेंसर मशीन लगी
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल
Published by: संदीप तिवारी
Updated Sat, 01 Mar 2025 07:27 PM IST
सार
sickle cell anemia: सिकल सेल एनीमिया की जांच अब और सटीक हो सकेगी राजधानी भोपाल के बीएमएचआरसी में डीएनए सीक्वेंसर मशीन स्थापित की गई है। यह मशीन सिकल सेल एनीमिया की आनुवंशिक (genetic) जांच में सहायक होगी, जिससे बीमारी के कारणों की स्पष्ट पहचान संभव हो सकेगी।
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डीएनए सीक्वेंसर मशीन
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
भारत सरकार के सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन के तहत भोपाल स्मारक अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र (बीएमएचआरसी) में डीएनए सीक्वेंसर मशीन स्थापित की गई है। यह मशीन सिकल सेल एनीमिया की आनुवंशिक (genetic) जांच में सहायक होगी, जिससे बीमारी के कारणों की स्पष्ट पहचान संभव हो सकेगी और अधिक प्रभावी उपचार की दिशा तय की जा सकेगी। बीएमएचआरसी की प्रभारी निदेशक डॉ. मनीषा श्रीवास्तव ने बताया कि सिकल सेल एनीमिया एक अनुवांशिक बीमारी है, जो माता-पिता से बच्चों में आती है। यह एचबीबी जीन में होने वाले म्यूटेशन (mutation) के कारण होता है। वर्तमान में प्रचलित अन्य जांच विधियाँ हीमोग्लोबिन के प्रकारों की पहचान करती हैं, लेकिन डीएनए सीक्वेंसर मशीन सीधे जीन स्तर पर जाकर म्यूटेशन की सटीक पहचान करती है। यह मशीन बीमारी की जड़ तक पहुँचकर यह बताने में सक्षम है कि एचबीबी जीन में कौन-सा म्यूटेशन मौजूद है, जिससे मरीजों के लिए अधिक प्रभावी और व्यक्तिगत (personalized) उपचार योजना बनाई जा सकती है। यह भी तय किया जा सकता है कि किस मरीज को कौन-सा जीन एडिटिंग टूल या थेरेपी दी जानी चाहिए।
जीन एडिटिंग से मिलेगी बीमारी से मुक्ति
डीएनए सीक्वेंसर मशीन जीन एडिटिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह मशीन जीन में मौजूद म्यूटेशन की सटीक पहचान करके यह जानकारी देती है कि किस स्थान पर बदलाव की आवश्यकता है। CRISPR जैसी जीन एडिटिंग तकनीकों की सहायता से इस म्यूटेशन को ठीक किया जा सकता है। सिकल सेल एनीमिया के मामले में, डीएनए सीक्वेंसर मशीन यह तय करने में मदद करती है कि किस मरीज को जीन एडिटिंग से अधिक लाभ होगा और उसे कौन-सा उपचार दिया जाना चाहिए। इससे भविष्य में सिकल सेल एनीमिया का स्थायी इलाज संभव हो सकता है।
डीएनए सीक्वेंसर मशीन के लाभ
बीमारी की जड़ तक पहुंच: यह मशीन सीधे डीएनए का विश्लेषण कर सिकल सेल एनीमिया के लिए जिम्मेदार एचबीबी जीन के म्यूटेशन की सटीक पहचान करती है।
विश्वसनीय और सटीक परिणाम: यह उन मामलों में भी स्पष्ट जानकारी देती है, जहां अन्य पारंपरिक जांच विधियां भ्रमित कर सकती हैं।
नवजात और गर्भस्थ शिशु की जांच: डीएनए सीक्वेंसर का उपयोग गर्भस्थ या नवजात शिशुओं में सिकल सेल बीमारी की पहचान के लिए किया जा सकता है।
वाहक (Carrier) की सटीक पहचान: यह मशीन सटीक रूप से यह पता लगाने में मदद करती है कि कोई व्यक्ति सिकल सेल एनीमिया का वाहक है या नहीं।
बोन मैरो ट्रांसप्लांट और उन्नत उपचार में सहायता: यह मशीन उन मरीजों के लिए भी उपयोगी है, पहचान और उन्नत उपचार रणनीतियों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह पहल सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन को और अधिक प्रभावी बनाने में सहायक होगी।
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जीन एडिटिंग से मिलेगी बीमारी से मुक्ति
डीएनए सीक्वेंसर मशीन जीन एडिटिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह मशीन जीन में मौजूद म्यूटेशन की सटीक पहचान करके यह जानकारी देती है कि किस स्थान पर बदलाव की आवश्यकता है। CRISPR जैसी जीन एडिटिंग तकनीकों की सहायता से इस म्यूटेशन को ठीक किया जा सकता है। सिकल सेल एनीमिया के मामले में, डीएनए सीक्वेंसर मशीन यह तय करने में मदद करती है कि किस मरीज को जीन एडिटिंग से अधिक लाभ होगा और उसे कौन-सा उपचार दिया जाना चाहिए। इससे भविष्य में सिकल सेल एनीमिया का स्थायी इलाज संभव हो सकता है।
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डीएनए सीक्वेंसर मशीन के लाभ
बीमारी की जड़ तक पहुंच: यह मशीन सीधे डीएनए का विश्लेषण कर सिकल सेल एनीमिया के लिए जिम्मेदार एचबीबी जीन के म्यूटेशन की सटीक पहचान करती है।
विश्वसनीय और सटीक परिणाम: यह उन मामलों में भी स्पष्ट जानकारी देती है, जहां अन्य पारंपरिक जांच विधियां भ्रमित कर सकती हैं।
नवजात और गर्भस्थ शिशु की जांच: डीएनए सीक्वेंसर का उपयोग गर्भस्थ या नवजात शिशुओं में सिकल सेल बीमारी की पहचान के लिए किया जा सकता है।
वाहक (Carrier) की सटीक पहचान: यह मशीन सटीक रूप से यह पता लगाने में मदद करती है कि कोई व्यक्ति सिकल सेल एनीमिया का वाहक है या नहीं।
बोन मैरो ट्रांसप्लांट और उन्नत उपचार में सहायता: यह मशीन उन मरीजों के लिए भी उपयोगी है, पहचान और उन्नत उपचार रणनीतियों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह पहल सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन को और अधिक प्रभावी बनाने में सहायक होगी।