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MP News: कांग्रेस ने छह MLA को सौंपी जिला अध्यक्षों की कमान, सिद्धार्थ, जयवर्धन, मरकाम देंगे संगठन को ताकत
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल
Published by: आनंद पवार
Updated Sat, 16 Aug 2025 09:18 PM IST
सार
मध्य प्रदेश कांग्रेस ने शनिवार को लंबे इंतजार के बाद 71 जिलों (शहर और ग्रामीण) के नए अध्यक्षों की घोषणा कर दी। इनमें छह वर्तमान विधायकों और कई पूर्व विधायकों को जिला अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई है। नए नियुक्तियों के साथ ही कांग्रेस के "एक व्यक्ति, एक पद" के सिद्धांत पर सवाल उठने लगे हैं, क्योंकि कई विधायक अब जिलों की कमान भी संभालेंगे। वहीं, कुछ वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी और युवाओं को अवसर न मिलने पर कार्यकर्ताओं में चर्चा तेज हो गई है।
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कांग्रेस का झंडा (सांकेतिक तस्वीर)
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विस्तार
मध्य प्रदेश कांग्रेस ने लंबे इंतजार के बाद शनिवार को जिलाें में 71 शहर और ग्रामीण अध्यक्षों के नामों का एलान कर दिया। इसमें छह विधायकों को जिलों की कमान सौंपी गई है। ऐसे में एक फिर कांग्रेस के एक व्यक्ति, एक पद के सिद्धांत को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। वहीं, विपक्ष ने भी कांग्रेस की करनी और कथनी में अंतर को लेकर सवाल उठाए हैं। कई वरिष्ठ नेताओं को जिला अध्यक्ष के चयन में दरकिनार कर दिया गया, तो वहीं, जिन नेताओं की प्रदेश स्तर पर भूमिका निभाने की उम्मीद थी, उनको जिलों की कमान सौंप दी गई।
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कांग्रेस के सतना से विधायक सिद्धार्थ कुशवाह को सतना ग्रामीण का अध्यक्ष बनाया गया है। सिद्धार्थ कुशवाह एकमात्र ऐसे नेता है, जो कांग्रेस की तरफ से महापौर, लोकसभा का चुनाव तक लड़ चुके हैं। यही नहीं वे फिलहाल एमपी कांग्रेस ओबीसी के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। यही वजह है कि जमीनी कार्यकर्ताओं और युवाओं को अवसर देने के पार्टी के दावों पर सवाल खड़े हो रहे हैं। वहीं, दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह राघौगढ़ से विधायक हैं, उनको गुना का जिला अध्यक्ष बनाया गया है। उनके ही भतीजी प्रियव्रत सिंह को राजगढ़ की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसी तरह डिंडौरी से ओमकार सिंह मरकाम विधायक हैं, उनको शहर का जिला अध्यक्ष बना दिया गया है। मरकाम कांग्रेस की सेंट्रल इलेक्शन कमेटी (सीईसी) के मध्य प्रदेश से एकमात्र सदस्य भी हैं। तराना से विधायक महेश परमार को उज्जैन ग्रामीण का अध्यक्ष बनाया गया है। बैहर विधायक संजय उईके को बालाघाट का जिला अध्यक्ष बनाया गया है। वहीं, सिलवानी से विधायक देवेंद्र पटेल को रायसेन के जिला अध्यक्ष की कमान सौंपी गई है।
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इन पूर्व विधायकों को भी मौका
कांग्रेस ने जिला अध्यक्षों के लिए पूर्व विधायकों को भी मौका दिया है। इसमें मुकेश पटेल को अलीराजपुर, निलय डागा को बैतूल, रवींद्र महाजन को बुरहानपुर ग्रामीण, विपिन वानखेड़े को इंदौर ग्रामीण, संजय यादव को जबलपुर ग्रामीण, डॉ. अशोक मर्सकोले को मंडला, सुनीता पटेल को नरसिंहपुर, जतन उईके को पांढुर्णा, प्रियव्रत सिंह को राजगढ़, हर्ष विजय को रतलाम ग्रामीण और सरस्वती मरकाम को सिंगरौली ग्रामीण का जिला अध्यक्ष बनाया गया है।
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आगामी चुनावों पर पड़ेगा असर
राजनीतिक मामलों के जानकारों का कहना है कि इन नियुक्तियों का सीधा असर 2028 के विधानसभा चुनावों और उसके पहले होने वाले नगरीय निकाय व पंचायत चुनावों पर पड़ेगा। मजबूत जिलाध्यक्ष पार्टी के लिए वोटों की जमीनी लड़ाई को आसान बना सकते हैं। लेकिन अगर युवाओं और नए कार्यकर्ताओं को पर्याप्त अवसर नहीं मिला, तो अंदरूनी असंतोष भी पार्टी के लिए चुनौती बन सकता है।
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कांग्रेस का संगठन सृजन बना नौटंकी
भाजपा प्रवक्ता अजय सिंह यादव ने कांग्रेस पर बड़ा हमला करते हुए कहा कि पार्टी का संगठन सृजन पूरी तरह से नौटंकी साबित हुआ है। उन्होंने कहा कि जमीनी कार्यकर्ताओं और नेताओं को अवसर देने की बात केवल खोखले वादे बनकर रह गई, क्योंकि इस बार भी जिला अध्यक्षों की नियुक्तियां वरिष्ठ नेताओं के हस्तक्षेप से हुई हैं। अजय सिंह यादव ने आरोप लगाया कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सभी वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर दिया। उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह के बेटे और भतीजे, जो प्रदेश स्तर पर नेतृत्व करना चाहते थे, उन्हें जिला अध्यक्ष बनाकर केवल एक जिले तक सीमित कर दिया गया है।
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संगठन सृजन से जिलों में मजबूत होगी पार्टी
कांग्रेस प्रवक्ता आनंद जाट ने कहा कि नई नियुक्तियों से कांग्रेस जिलों में और मजबूत होगी। उन्होंने बताया कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि जिला अध्यक्ष का पद चुनावी दृष्टि से एक मजबूत कड़ी है। इसी कारण कई स्थानों पर विधायकों को भी जिम्मेदारी सौंपी गई है। उन्होंने कहा कि जिनका कमजोर प्रदर्शन करने वालों को हटा दिया जाएगा। वहीं, एक से डेढ़ साल पहले पद पाने वाले अध्यक्षों को दोबारा अवसर दिया गया है। उन्होंने बताया कि संगठन सृजन का पहला चरण पूरा हो चुका है और इससे कांग्रेस पार्टी को नई ऊर्जा और मजबूती मिलेगी।
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कांग्रेस के सतना से विधायक सिद्धार्थ कुशवाह को सतना ग्रामीण का अध्यक्ष बनाया गया है। सिद्धार्थ कुशवाह एकमात्र ऐसे नेता है, जो कांग्रेस की तरफ से महापौर, लोकसभा का चुनाव तक लड़ चुके हैं। यही नहीं वे फिलहाल एमपी कांग्रेस ओबीसी के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। यही वजह है कि जमीनी कार्यकर्ताओं और युवाओं को अवसर देने के पार्टी के दावों पर सवाल खड़े हो रहे हैं। वहीं, दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह राघौगढ़ से विधायक हैं, उनको गुना का जिला अध्यक्ष बनाया गया है। उनके ही भतीजी प्रियव्रत सिंह को राजगढ़ की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसी तरह डिंडौरी से ओमकार सिंह मरकाम विधायक हैं, उनको शहर का जिला अध्यक्ष बना दिया गया है। मरकाम कांग्रेस की सेंट्रल इलेक्शन कमेटी (सीईसी) के मध्य प्रदेश से एकमात्र सदस्य भी हैं। तराना से विधायक महेश परमार को उज्जैन ग्रामीण का अध्यक्ष बनाया गया है। बैहर विधायक संजय उईके को बालाघाट का जिला अध्यक्ष बनाया गया है। वहीं, सिलवानी से विधायक देवेंद्र पटेल को रायसेन के जिला अध्यक्ष की कमान सौंपी गई है।
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इन पूर्व विधायकों को भी मौका
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आगामी चुनावों पर पड़ेगा असर
राजनीतिक मामलों के जानकारों का कहना है कि इन नियुक्तियों का सीधा असर 2028 के विधानसभा चुनावों और उसके पहले होने वाले नगरीय निकाय व पंचायत चुनावों पर पड़ेगा। मजबूत जिलाध्यक्ष पार्टी के लिए वोटों की जमीनी लड़ाई को आसान बना सकते हैं। लेकिन अगर युवाओं और नए कार्यकर्ताओं को पर्याप्त अवसर नहीं मिला, तो अंदरूनी असंतोष भी पार्टी के लिए चुनौती बन सकता है।
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कांग्रेस का संगठन सृजन बना नौटंकी
भाजपा प्रवक्ता अजय सिंह यादव ने कांग्रेस पर बड़ा हमला करते हुए कहा कि पार्टी का संगठन सृजन पूरी तरह से नौटंकी साबित हुआ है। उन्होंने कहा कि जमीनी कार्यकर्ताओं और नेताओं को अवसर देने की बात केवल खोखले वादे बनकर रह गई, क्योंकि इस बार भी जिला अध्यक्षों की नियुक्तियां वरिष्ठ नेताओं के हस्तक्षेप से हुई हैं। अजय सिंह यादव ने आरोप लगाया कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सभी वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर दिया। उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह के बेटे और भतीजे, जो प्रदेश स्तर पर नेतृत्व करना चाहते थे, उन्हें जिला अध्यक्ष बनाकर केवल एक जिले तक सीमित कर दिया गया है।
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संगठन सृजन से जिलों में मजबूत होगी पार्टी
कांग्रेस प्रवक्ता आनंद जाट ने कहा कि नई नियुक्तियों से कांग्रेस जिलों में और मजबूत होगी। उन्होंने बताया कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि जिला अध्यक्ष का पद चुनावी दृष्टि से एक मजबूत कड़ी है। इसी कारण कई स्थानों पर विधायकों को भी जिम्मेदारी सौंपी गई है। उन्होंने कहा कि जिनका कमजोर प्रदर्शन करने वालों को हटा दिया जाएगा। वहीं, एक से डेढ़ साल पहले पद पाने वाले अध्यक्षों को दोबारा अवसर दिया गया है। उन्होंने बताया कि संगठन सृजन का पहला चरण पूरा हो चुका है और इससे कांग्रेस पार्टी को नई ऊर्जा और मजबूती मिलेगी।