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MP News: गिले-शिकवे को भूलकर 'यंग ब्रिगेड' को साथ ला रहे दिग्विजय सिंह, सिंघार के साथ बंद कमरे में की मीटिंग
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल
Published by: आनंद पवार
Updated Fri, 10 Oct 2025 11:45 AM IST
सार
दिग्विजय सिंह मध्य प्रदेश कांग्रेस में गुटबाजी खत्म करने और 2028 में वापसी के लिए उमंग सिंघार जैसे नेताओं से मुलाकात कर एकजुटता की कोशिश में जुटे हैं। अपनी सियासी विरासत को बेटे जयवर्धन सिंह के जरिए आगे बढ़ाने की रणनीति भी बना रहे है।
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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
मध्य प्रदेश में कांग्रेस गुटबाजी से जूझ रही है। 2028 में अगर वापसी करनी है तो पार्टी नेताओं को एकजुट रहना होगा। इस कवायद में दिग्विजय सिंह खुद लग गए हैं। तमाम गिले शिकवे को भूलकर दिग्विजय सिंह अलग-अलग नेताओं से मिल रहे हैं। अजय सिंह के बाद उन्होंने नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार से बंद कमरे में बात की है। दोनों नेताओं के बीच हुई मुलाकात के बाद अटकलें तेज हो गई हैं। पहली पीढ़ी के पुराने नेताओं में अब सिर्फ दिग्विजय सिंह एमपी की राजनीति में सक्रिय रूप से एक्टिव हैं। कमलनाथ की राजनीति सिर्फ ट्विटर तक अभी केंद्रित है। वहीं, दिग्विजय सिंह हर मोर्चे पर एक्टिव हैं।
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हर जगह दिख जाते हैं दिग्विजय
मध्य प्रदेश में दिग्विजय सिंह कांग्रेस के अंदर इकलौते ऐसे नेता हैं, जो इस उम्र में भी काफी सक्रिय हैं। नए अध्यक्ष जीतू पटवारी के साथ वह तालमेल बिठाकर पार्टी को मजबूत करने में जुटे हैं। क्योंकि दिग्विजय सिंह को पता है कि 2028 में अगर कांग्रेस एमपी में वापस नहीं आई तो आगे की राह आसान नहीं होगी। पार्टी के साथ-साथ उन्हें अपनी सियासी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए बेटे को भी स्थापित करना है। एमपी में कांग्रेस ने पार्टी को मजबूत करने के लिए दूसरी पीढ़ी के नेताओं को कमान सौंप दी है। इसमें उमंग सिंघार, जीतू पटवारी और जयवर्धन सिंह जैसे नेता पार्टी को आगे बढ़ा रहे हैं।
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उमंग सिंघार से रही है अदावत
कांग्रेस के अंदर का उमंग सिंघार और दिग्विजय सिंह की अदावत किसी से छिपी नहीं है। कमलनाथ की सरकार के दौरान उमंग सिंघार ने तो यहां तक कह दिया था कि पर्दे के पीछे से सरकार दिग्विजय सिंह चला रहे हैं। वो कौन होते हैं। इसे लेकर कांग्रेस में उबाल आ गया था। बाद में दिल्ली ने मामला सुलझाया था।
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बेटे को करना है स्थापित
दिग्विजय सिंह की कोशिश है कि पार्टी के साथ-साथ अपने बेटे जयवर्धन सिंह को भी स्थापित करना है। जयवर्धन सिंह युवा चेहरे हैं। कमलनाथ की सरकार में उन्हें नगरीय विकास विभाग मिला था। 15 महीने के अंदर उन्होंने काम से अपनी अलग छवि बनाई थी। साथ ही जयवर्धन सिंह का चेहरा भी निर्विवाद है। दिग्विजय सिंह को पता है कि पार्टी सत्ता में आएगी तभी बेटे के लिए भी जगह बनेगी।
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विवाद को करना है खत्म
बीते कई दशक से मध्य प्रदेश में कांग्रेस गुटबाजी से जूझ रही है। 2028 को फतह करने के लिए गुटबाजी खत्म करने होगी। दिग्विजय सिंह इस पर लग गए हैं। वही दूसरी पीढ़ी के सारे नेताओं को एक साथ लेकर चलने की कवायद में लगे हैं। इसकी झलक भी दिखने लगी है। तमाम मुद्दों पर पार्टी के सभी नेता एक साथ आ रहे हैं।
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हर जगह दिख जाते हैं दिग्विजय
मध्य प्रदेश में दिग्विजय सिंह कांग्रेस के अंदर इकलौते ऐसे नेता हैं, जो इस उम्र में भी काफी सक्रिय हैं। नए अध्यक्ष जीतू पटवारी के साथ वह तालमेल बिठाकर पार्टी को मजबूत करने में जुटे हैं। क्योंकि दिग्विजय सिंह को पता है कि 2028 में अगर कांग्रेस एमपी में वापस नहीं आई तो आगे की राह आसान नहीं होगी। पार्टी के साथ-साथ उन्हें अपनी सियासी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए बेटे को भी स्थापित करना है। एमपी में कांग्रेस ने पार्टी को मजबूत करने के लिए दूसरी पीढ़ी के नेताओं को कमान सौंप दी है। इसमें उमंग सिंघार, जीतू पटवारी और जयवर्धन सिंह जैसे नेता पार्टी को आगे बढ़ा रहे हैं।
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उमंग सिंघार से रही है अदावत
कांग्रेस के अंदर का उमंग सिंघार और दिग्विजय सिंह की अदावत किसी से छिपी नहीं है। कमलनाथ की सरकार के दौरान उमंग सिंघार ने तो यहां तक कह दिया था कि पर्दे के पीछे से सरकार दिग्विजय सिंह चला रहे हैं। वो कौन होते हैं। इसे लेकर कांग्रेस में उबाल आ गया था। बाद में दिल्ली ने मामला सुलझाया था।
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बेटे को करना है स्थापित
दिग्विजय सिंह की कोशिश है कि पार्टी के साथ-साथ अपने बेटे जयवर्धन सिंह को भी स्थापित करना है। जयवर्धन सिंह युवा चेहरे हैं। कमलनाथ की सरकार में उन्हें नगरीय विकास विभाग मिला था। 15 महीने के अंदर उन्होंने काम से अपनी अलग छवि बनाई थी। साथ ही जयवर्धन सिंह का चेहरा भी निर्विवाद है। दिग्विजय सिंह को पता है कि पार्टी सत्ता में आएगी तभी बेटे के लिए भी जगह बनेगी।
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विवाद को करना है खत्म
बीते कई दशक से मध्य प्रदेश में कांग्रेस गुटबाजी से जूझ रही है। 2028 को फतह करने के लिए गुटबाजी खत्म करने होगी। दिग्विजय सिंह इस पर लग गए हैं। वही दूसरी पीढ़ी के सारे नेताओं को एक साथ लेकर चलने की कवायद में लगे हैं। इसकी झलक भी दिखने लगी है। तमाम मुद्दों पर पार्टी के सभी नेता एक साथ आ रहे हैं।