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Indore News: डेली कॉलेज बोर्ड को तगड़ा झटका, संविधान बदलने की कोशिशें नाकाम, हाईकोर्ट ने लगाई रोक
अमर उजाला, डिजिटल डेस्क, इंदौर
Published by: अर्जुन रिछारिया
Updated Fri, 14 Nov 2025 10:23 AM IST
सार
Indore News: हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि जब तक रजिस्ट्रार फर्म एंड सोसाइटी के पास लंबित मामलों का निपटारा नहीं हो जाता, तब तक संविधान संशोधन संबंधी कोई फैसला नहीं लिया जाएगा। यह फैसला बोर्ड सदस्य संदीप पारीख की याचिका पर आया है।
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डेली कॉलेज
- फोटो : अमर उजाला, डिजिटल डेस्क, इंदौर
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विस्तार
डेली कॉलेज (डीसी) का संविधान बदलने के प्रयासों में जुटे डीसी बोर्ड को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जब तक रजिस्ट्रार फर्म एंड सोसाइटी, भोपाल और सहायक रजिस्ट्रार, इंदौर के समक्ष लंबित मामलों का निराकरण नहीं हो जाता, तब तक डेली कॉलेज संस्था संविधान संशोधन से जुड़े विषयों पर कोई निर्णय नहीं लेगी।
बोर्ड पर मनमानी और पद पर बने रहने के आरोप
दरअसल, डीसी बोर्ड पर लगातार संविधान संशोधन के प्रयास करने का आरोप है। कुछ अभिभावकों ने इस संबंध में कलेक्टर शिवम वर्मा से शिकायत की थी। शिकायत में कहा गया था कि बोर्ड के कुछ सदस्य हमेशा पद पर बने रहने के लिए चुनाव न कराने जैसे प्रावधान करना चाहते हैं। पेरेंट्स ने 12 नवंबर को होने वाली बैठक में संविधान संशोधन की तैयारी का भी हवाला दिया था। इस शिकायत के बाद कलेक्टर ने सहायक रजिस्ट्रार फर्म एंड सोसाइटी बीडी कुबेर को कार्रवाई के आदेश दिए थे। कलेक्टर ने पुराने लंबित मामलों का जिक्र करते हुए 12 नवंबर की बैठक में संविधान संशोधन संबंधी कोई भी फैसला लेने पर रोक लगाने को कहा था।
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हाईकोर्ट ने सुरक्षित रखा था फैसला
इस मामले में डीसी बोर्ड के सदस्य संदीप पारीख ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। 12 नवंबर को जस्टिस प्रणय वर्मा की कोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई पूरी हो गई थी, जिसके बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। 13 नवंबर को यह फैसला सुनाया गया। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता पीयूष पाराशर ने बताया कि हाईकोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया है कि रजिस्ट्रार (भोपाल) और सहायक रजिस्ट्रार (इंदौर) के समक्ष जो प्रकरण पेंडिंग हैं, उनका निराकरण होने तक संविधान संशोधन पर कोई फैसला नहीं लिया जाएगा।
क्या है पुराना विवाद?
अधिवक्ता पाराशर के अनुसार, 29 अगस्त 2025 को सहायक रजिस्ट्रार ने डीसी संस्था को साधारण आम सभा (General Body Meeting) बुलाने के निर्देश दिए थे। इसका उद्देश्य यह था कि संस्था के फैसले सिर्फ 9 सदस्यीय डीसी बोर्ड न ले, बल्कि सभी सदस्यों के अनुमोदन से निर्णय हों। इस आदेश के खिलाफ डीसी बोर्ड ने रजिस्ट्रार फर्म एंड सोसाइटी, भोपाल के पास अपील की थी। 19 सितंबर 2025 को हुई सुनवाई में बोर्ड को स्टे मिल गया था। रजिस्ट्रार का तर्क था कि स्टे नहीं देने पर अपील निष्प्रभावी हो जाएगी। आरोप है कि डीसी प्रबंधन ने इस स्टे ऑर्डर की गलत व्याख्या करते हुए यह मान लिया कि सहायक रजिस्ट्रार का मूल आदेश ही खारिज हो गया है। जब याचिकाकर्ता संदीप पारीख के आवेदनों का रजिस्ट्रार के स्तर पर निराकरण नहीं हुआ, तब उन्होंने हाईकोर्ट की शरण ली थी।
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क्या है पुराना विवाद?
अधिवक्ता पाराशर के अनुसार, 29 अगस्त 2025 को सहायक रजिस्ट्रार ने डीसी संस्था को साधारण आम सभा (General Body Meeting) बुलाने के निर्देश दिए थे। इसका उद्देश्य यह था कि संस्था के फैसले सिर्फ 9 सदस्यीय डीसी बोर्ड न ले, बल्कि सभी सदस्यों के अनुमोदन से निर्णय हों। इस आदेश के खिलाफ डीसी बोर्ड ने रजिस्ट्रार फर्म एंड सोसाइटी, भोपाल के पास अपील की थी। 19 सितंबर 2025 को हुई सुनवाई में बोर्ड को स्टे मिल गया था। रजिस्ट्रार का तर्क था कि स्टे नहीं देने पर अपील निष्प्रभावी हो जाएगी। आरोप है कि डीसी प्रबंधन ने इस स्टे ऑर्डर की गलत व्याख्या करते हुए यह मान लिया कि सहायक रजिस्ट्रार का मूल आदेश ही खारिज हो गया है। जब याचिकाकर्ता संदीप पारीख के आवेदनों का रजिस्ट्रार के स्तर पर निराकरण नहीं हुआ, तब उन्होंने हाईकोर्ट की शरण ली थी।