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Indore News: 76 हजार टीबी मरीजों का खुलासा, 2025 का लक्ष्य फेल! इंदौर में 1,833 मौतों ने हिलाया सिस्टम

अमर उजाला, डिजिटल डेस्क, इंदौर Published by: अर्जुन रिछारिया Updated Tue, 02 Dec 2025 08:13 AM IST
सार

Indore News: प्रधानमंत्री के टीबीमुक्त भारत अभियान के सात साल बाद भी इंदौर में हालात गंभीर बने हुए हैं। शहर में अब तक 76,549 टीबी मरीज और 1,833 मौतें दर्ज की जा चुकी हैं। हर साल 7–8 हजार नए मरीज सामने आ रहे हैं।

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indore news tb cases surge as city reports 76,549 patients and 1,833 deaths since 2018
indore news - फोटो : अमर उजाला, डिजिटल डेस्क, इंदौर
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प्रधानमंत्री द्वारा साल 2025 तक टीबीमुक्त भारत बनाने की घोषणा के सात वर्ष बाद भी इंदौर में स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। 2018 में अभियान शुरू होने से अब तक इंदौर में 76,549 नए टीबी मरीज सामने आ चुके हैं, जो यह संकेत देता है कि लक्ष्य काफी पीछे छूट गया है। हर साल औसतन 7–8 हजार नए रोगी मिल रहे हैं। इनमें से 1,833 मरीजों की मौत भी दर्ज की जा चुकी है, जो अभियान की सफलता पर सवाल खड़े करती है। विशेषज्ञों का मानना है कि उपलब्ध इलाज और साधनों के बावजूद मौतों का यह आंकड़ा बेहद गंभीर है।
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देशभर में बढ़ता टीबी का बोझ, इंदौर का योगदान भी बड़ा
इंदौर सहित पूरे देश में टीबीमुक्त भारत अभियान चलने के बावजूद राष्ट्रीय टीबी आंकड़ों में लगातार वृद्धि देखी गई है। वर्ष 2021 में जहां 21 लाख मरीज थे, वहीं 2022 में 28 लाख, 2023 में 25 लाख, 2024 में 26 लाख और 2025 में अब तक 26 लाख मरीज दर्ज किए जा चुके हैं। डाक्टरों की मानें तो वर्ष के अंत तक यह संख्या 30 लाख तक पहुंच सकती है। इन बढ़ते आंकड़ों में इंदौर का योगदान भी बड़ा है, क्योंकि यहां हर वर्ष हजारों मरीज सामने आ रहे हैं। उपलब्ध दवाएं और सुविधा केंद्र होने के बावजूद 1,833 मौतें अभियान को लगभग असफल साबित कर रही हैं।

टीबी जांच के 44 केंद्र सक्रिय, इलाज और आर्थिक सहायता भी उपलब्ध
इंदौर में सामान्य टीबी की जांच 44 माइक्रोस्कोपी सेंटरों में की जाती है। अभियान शुरू होने से अब तक 76,549 सामान्य टीबी मरीज मिले हैं। जांच से लेकर इलाज तक का सारा खर्च सरकार वहन करती है। साथ ही उपचार अवधि के दौरान मरीजों को 6 महीने तक हर माह 1,000 रुपये की सहायता भी दी जाती है। चिकित्सकों के अनुसार यदि मरीज बिना नागा 6 महीने तक नियमित दवा लेते रहें तो वे पूरी तरह स्वस्थ हो जाते हैं। इसके बावजूद लापरवाही के कारण कई मरीज इलाज अधूरा छोड़ देते हैं, जिससे बीमारी गंभीर रूप ले लेती है।

एमडीआर टीबी के 1,745 मरीज, सबसे ज्यादा मौतें इसी श्रेणी में
सामान्य टीबी के अतिरिक्त इंदौर में 1,745 एमडीआर (मल्टीड्रग रेजिस्टेंस) मरीज भी मिले हैं। यह टीबी का सबसे खतरनाक रूप माना जाता है, जो आमतौर पर उन्हीं मरीजों में विकसित होता है जो बीच में दवा छोड़ देते हैं या इलाज पूरा नहीं करते। विशेषज्ञों का कहना है कि टीबी से होने वाली कुल मौतों में सबसे अधिक मौतें एमडीआर टीबी के कारण होती हैं। साल 2018 से 2025 तक मिलने वाले सामान्य और एमडीआर मरीजों के आधिकारिक आंकड़े भी यही दिखाते हैं कि बीमारी पर रोक नहीं लग सकी। सरकार का उद्देश्य यह है कि कोई भी मरीज बिना जांच और बिना इलाज के न रहे, न कि शहर में टीबी पूरी तरह खत्म हो।

बड़ी संख्या में ठीक हो रहे मरीज
जिला क्षय अधिकारी डाक्टर शैलेंद्र जैन ने बताया कि टीबीमुक्त भारत अभियान का मतलब यह नहीं है कि इंदौर में एक भी मरीज नहीं मिलेगा। सरकार का उद्देश्य है कि कोई भी मरीज बिना इलाज और बिना जांच के न रहे। इसके लिए हम हर तरह की सुविधा दे रहे हैं। बड़ी संख्या में मरीज ठीक हो रहे हैं और भविष्य में जल्द ही इस पर पूरी तरह से लगाम कसने में भी मदद मिलेगी। 

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