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Indore News: स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की लिस्ट में छाए इंदौर के ये 3 'सुपर साइंटिस्ट', जानिए किन खोजों ने दिलाई
अमर उजाला, डिजिटल डेस्क, इंदौर
Published by: अर्जुन रिछारिया
Updated Fri, 14 Nov 2025 03:06 PM IST
सार
Indore News: इंदौर के लिए गर्व का क्षण! देवी अहिल्या विवि की प्रो. अंजना जाजू, डॉ. मुकेशचंद्र शर्मा और UGC-DAE के डॉ. वसंत साठे को स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी और एल्सेवियर द्वारा जारी विश्व के शीर्ष 2% वैज्ञानिकों की सूची में शामिल किया गया है।
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डॉ. मुकेशचंद्र शर्मा, प्रो. अंजना जाजू, डॉ. वसंत साठे
- फोटो : अमर उजाला, डिजिटल डेस्क, इंदौर
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विस्तार
शहर ने एक बार फिर अकादमिक और अनुसंधान के क्षेत्र में देश का नाम रोशन किया है। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी (अमेरिका) और एल्सेवियर द्वारा जारी विश्व के शीर्ष 2% वैज्ञानिकों की प्रतिष्ठित सूची में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (DAVV) और UGC-DAE के तीन वैज्ञानिकों ने अपनी जगह बनाई है। इस सूची में प्रो. अंजना जाजू, डॉ. मुकेशचंद्र शर्मा और UGC-DAE के डायरेक्टर डॉ. वसंत साठे को उनके शोध कार्यों के प्रभाव के आधार पर शामिल किया गया है। इंदौर के ये तीनों वैज्ञानिक कंसोर्टियम फॉर साइंटिफिक रिसर्च से भी जुड़े हैं।
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इन विशिष्ट शोधों ने दिलाई पहचान
प्रो. अंजना जाजू: उन्हें जल-संकट की स्थिति में फसलों की स्थिरता पर किए गए उनके शोध के लिए **लगातार छठे वर्ष** यह सम्मान मिला है।
डॉ. मुकेशचंद्र शर्मा: उन्हें फार्मेसी और फार्माकोलॉजी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए **लगातार चौथे साल** यह वैश्विक मान्यता मिली है।
डॉ. वसंत साठे: उन्होंने रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी के जरिए परमाणु स्तर पर कंपनों को मापने की एक नई और उन्नत तकनीक विकसित की है, जिसके लिए उन्हें विश्व स्तरीय मान्यता दी गई है।
कैसे तय होती है यह रैंकिंग?
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की यह सूची वैज्ञानिकों के शोध प्रभाव का एक समग्र मूल्यांकन है। इसमें वैज्ञानिकों के एच-इंडेक्स (H-index), उनके द्वारा प्रकाशित शोध पत्रों की संख्या, उनके काम को मिले साइटेशन (उद्धरण) और सह-लेखक मानदंडों को आधार बनाया जाता है। यह रैंकिंग कुल 22 वैज्ञानिक विषयों और 174 उप-क्षेत्रों में प्रकाशनों के महत्व के आधार पर की जाती है।
विश्वविद्यालय और संस्थान का गौरव
इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर देवी अहिल्या विवि के कुलपति प्रो. राकेश संघवी और कुलपति प्रो. राकेश सिंह ने वैज्ञानिकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि विश्वविद्यालय को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा दिलाने वाली है और यह विवि की शैक्षणिक व अनुसंधान क्षमता को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित करती है।
UGC-DAE के डायरेक्टर प्रो. कौस्तुभ प्रियोलकर ने इस उपलब्धि को संस्थान की अनुसंधान संस्कृति, उत्कृष्टता और समर्पण का प्रमाण बताया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की वैश्विक मान्यता युवा शोधकर्ताओं को महत्वाकांक्षी वैज्ञानिक लक्ष्यों को प्राप्त करने और समाज में सार्थक योगदान देने के लिए प्रेरित करती है।
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डॉ. मुकेशचंद्र शर्मा: उन्हें फार्मेसी और फार्माकोलॉजी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए **लगातार चौथे साल** यह वैश्विक मान्यता मिली है।
डॉ. वसंत साठे: उन्होंने रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी के जरिए परमाणु स्तर पर कंपनों को मापने की एक नई और उन्नत तकनीक विकसित की है, जिसके लिए उन्हें विश्व स्तरीय मान्यता दी गई है।
कैसे तय होती है यह रैंकिंग?
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की यह सूची वैज्ञानिकों के शोध प्रभाव का एक समग्र मूल्यांकन है। इसमें वैज्ञानिकों के एच-इंडेक्स (H-index), उनके द्वारा प्रकाशित शोध पत्रों की संख्या, उनके काम को मिले साइटेशन (उद्धरण) और सह-लेखक मानदंडों को आधार बनाया जाता है। यह रैंकिंग कुल 22 वैज्ञानिक विषयों और 174 उप-क्षेत्रों में प्रकाशनों के महत्व के आधार पर की जाती है।
विश्वविद्यालय और संस्थान का गौरव
इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर देवी अहिल्या विवि के कुलपति प्रो. राकेश संघवी और कुलपति प्रो. राकेश सिंह ने वैज्ञानिकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि विश्वविद्यालय को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा दिलाने वाली है और यह विवि की शैक्षणिक व अनुसंधान क्षमता को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित करती है।
UGC-DAE के डायरेक्टर प्रो. कौस्तुभ प्रियोलकर ने इस उपलब्धि को संस्थान की अनुसंधान संस्कृति, उत्कृष्टता और समर्पण का प्रमाण बताया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की वैश्विक मान्यता युवा शोधकर्ताओं को महत्वाकांक्षी वैज्ञानिक लक्ष्यों को प्राप्त करने और समाज में सार्थक योगदान देने के लिए प्रेरित करती है।