Indore:रैलिंग तोड़ने का काम भी धीमी गति से, छह माह में ट्रैफिक के लिए खुलेगा पूरा बीआरटीएस
कई शहरवासियों को अब तक यह पता नहीं चला है कि आखिर बीआरटीएस तोड़ने का फैसला किस आधार पर हुआ। इसे लेकर न तो कभी जनप्रतिनिधियों से बैठक में चर्चा हुई और न ही कभी लोगों के सामने बात आई।
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इंदौर की बीआरटीएस बनाने में भी दोगुना समय लगा था और अब उसे तोड़ने का काम भी धीमा चल रहा है। नगर निगम ने जिस ठेकेदार को काम दिया है। वह ठीक से काम नहीं कर पा रहा है। सोमवार को भी काम बंद था। उधर नगर निगम अफसरों को कोर्ट की नाराजगी भी इस मामले में सहना पड़ रही है।
अफसरों ने कोर्ट के सामने पंद्रह दिन में रैलिंग हटाने की बात कही है, लेकिन सचाई यह है कि रैलिंग हटाने के बाद भी वाहन चालकों के लिए बस लेन उपयोग में नहीं आ पाएगी,क्योकि दूसरी लेन और बस लेन समान नहीं है। इस कारण हादसे होने की संभावना ज्यादा रहेगी। नगर निगम को सेंट्रल डिवाइडर बनने के बाद लेन एक समान करने के लिए पेचवर्क भी कराना होगा। बीआरटीएस पर नए डिवाइडर बनने में भी चार से छह माह का समय लगेगा। इस कारण चौड़ी सड़क के लिए वाहन चालकों को इंतजार करना होगा।
किसने लिया था बीआरटीएस तोड़ने का फैसला
कई शहरवासियों को अब तक यह पता नहीं चला है कि आखिर बीआरटीएस तोड़ने का फैसला किस आधार पर हुआ। इसे लेकर न तो कभी जनप्रतिनिधियों से बैठक में चर्चा हुई और न ही कभी लोगों के सामने बात आई।
9 माह पहले अचानक एयरपोर्ट पर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बीआरटीएस हटाने की बात मीडिया के सामने कही थी और उसके बाद नगर निगम ने कोर्ट में इसे तोड़ने की अनुमति मांगी, जबकि बीआरटीएस पर एलिवेटेड ब्रिज बनाने का भूमिपूजन मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अपनी पहली इंदौर यात्रा के दौरान किया था, हालांकि सर्वे में कम ट्रैफिक के कारण उस योजना को टालना पड़ा। अब बीआरटीएस के जंक्शनों पर ब्रिज बनाए जाएंगे।
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