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Jabalpur News: प्रमोशन में आरक्षण नियम को हाईकोर्ट में चुनौती, सुप्रीम कोर्ट दिशा-निर्देशों के उल्लंघन का आरोप

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जबलपुर Published by: जबलपुर ब्यूरो Updated Fri, 14 Nov 2025 07:49 AM IST
सार

कोर्ट ने अगली सुनवाई 20 नवंबर तय की है। इस मामले में अजाक्स संघ समेत आरक्षित वर्ग के कई अधिकारियों-कर्मचारियों ने हस्तक्षेप याचिकाएं दाखिल की हैं।

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Jabalpur News: Allegations of violation of Supreme Court guidelines in reservation rules in promotion
जबलपुर हाईकोर्ट। - फोटो : अमर उजाला
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मप्र हाईकोर्ट में गुरुवार को प्रदेश में प्रमोशन में आरक्षण को लेकर बने नियम की वैधानिकता को चुनौती देने वाले मामले में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के विपरीत नियम बनाए हैं, इसलिए वे चुनौती योग्य हैं। आवेदकों की ओर से चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ को बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट के एम नागराज और जरनैल सिंह के मामलों में जो निर्देश दिए हैं, उनका पालन नहीं किया गया है। सरकार ने आरक्षण लागू करने से पहले यह नहीं देखा कि कौन से वर्ग अभी वाकई पिछड़े हैं और उनका वर्तमान में कितना प्रतिनिधित्व है। सुनवाई पश्चात् न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई 20 नवंबर को निर्धारित की है।
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भोपाल निवासी डॉ. स्वाति तिवारी और अन्य की तरफ से दायर याचिका में मध्यप्रदेश लोक सेवा पदोन्नति नियम 2025 को चुनौती दी गई है। आवेदकों का कहना है कि वर्ष 2002 के नियमों को हाईकोर्ट के द्वारा आरबी राय के केस में समाप्त किया जा चुका है। इसके विरुद्ध मप्र शासन ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट में मामला अभी लंबित है, इसके बावजूद मप्र शासन ने महज नाम मात्र का शाब्दिक परिवर्तन कर जस के तस नियम बना दिए। वहीं, मामले में अजाक्स संघ सहित आरक्षित वर्ग की ओर से अनेक अधिकारियों और कर्मचारियों ने इस मामले में हस्तक्षेप याचिकाएं दाखिल की हैं।
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मामले में गुरुवार को हुई सुनवाई दौरान आवेदकों की ओर से दलील दी गई कि सुप्रीम कोर्ट ने उक्त प्रकरणों में क्रीमी लेयर का मुद्दा भी स्पष्ट किया है। जब तक पिछड़े वर्ग से क्रीमी लेयर को अलग नहीं किया जाता, तब तक यह तय नहीं किया जा सकता कि उन्हें कितना आरक्षण मिलना चाहिए। यदि किसी पिछड़े वर्ग का व्यक्ति आईएएस या आईपीएस बनता है, तो उसके बच्चें सामाजिक व आर्थिक रूप से पिछड़े नहीं माने जाएंगे। ऐसे में उन्हें आरक्षण का लाभ देना बाकी उम्मीदवारों के साथ भेदभाव होगा। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की तरफ से पक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है। याचिकाकर्ताओं का पक्ष प्रस्तुत करने के बाद सरकार अपना पक्ष रखेगी।
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