मध्यप्रदेश में विधानसभा की 28 सीटों के लिए होने वाले उपचुनावों के मद्देनजर बंदूक के इस्तेमाल और हिंसा रोकने के लिए भिण्ड जिले में पुलिस ने एक नई पहल की है। इसके तहत कारतूसों पर क्यूआर कोड की मुहर लगाई जा रही है ताकि गोली चलाने वाले की पहचान जल्द और आसानी से हो सके।
मध्यप्रदेश में तीन नवंबर को 28 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के तहत भिण्ड जिले में दो सीटों तथा ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में 16 सीटों पर उपचुनाव हो रहा है।
चंबल के बीहड़ कभी मलखान सिंह और पान सिंह तोमर जैसे बागियों का अड्डा रहे थे जिन्होंने बंदूक के दम पर इलाके में आतंक का राज कायम किया था। "बैंडिट क्वीन" फूलन देवी ने भी सांसद बनने से पहले चंबल के बीहड़ों में ही राज किया था।
जिला पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह ने पीटीआई से बात करते हुए कहा, "पिछले पांच साल में भिण्ड में 150 हत्याएं हुई हैं। इनमें से अधिकांश अवैध हथियारों के इस्तेमाल से हुई हैं।" पुलिस सूत्रों ने बताया कि पिछले विधानसभा चुनावों जिले में हिंसा और धांधली करने की कोशिशें हुई थीं जिन्हें नाकाम कर दिया गया था।
उन्होंने कहा, "इसलिए उपचुनावों से पहले पुलिस ने जिले में 22 हजार से अधिक हथियार लाइसेंसधारियों को क्यूआर कोड वाली गोलियां लेने के लिए कहा है। इस सप्ताह से इसकी शुरुआत हो गई है। एक कारतूस पर क्यूआर कोड चिह्नित करने के लिए सिर्फ एक पैसा खर्च होता है। इसमें बंदूक के लाइसेंसधारी का विवरण होता है जिससे पुलिस लगभग तुरंत उसका पता लगा सकती है।"
एक सवाल के जवाब में सिंह ने कहा कि कारतूसों पर कोड लगाने का काम न केवल उपचुनावों को देखते हुए किया जा रहा है लेकिन यह बंदूक संस्कृति को काबू में रखने में आगे भी सहायक होगा। उन्होंने बताया कि चुनाव के दौरान लाइसेंसी हथियार पुलिस द्वारा जमा करा लिए जाते हैं।
उन्होंने कहा कि इस उपचुनाव के दौरान अगर किसी ने देशी हथियार से भी क्यूआर कोड वाली गोली दागी तो हम गोली चलाने वाले तक पहुंच सकते हैं क्योंकि क्यूआर कोड चिह्नित खाली गोली हमें पूरी जानकारी देगी।
सिंह से पूछा गया कि इस पहल से भिण्ड जिले में, जहां अपराधी देश के विभिन्न स्थानों से हथियार और गोलियां प्राप्त करते हैं, क्या असर होगा तो उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य क्षेत्र में प्रचलित बंदूक संस्कृति को कम करना है। उन्होंने कहा, "इसमें यदि में एक भी जीवन को बचाने में सफल होता हूं तो मुझे खुशी होगी।" सिंह ने बताया कि वह पिछले दो साल से इस योजना पर काम कर रहे हैं।
सिंह ने कहा कि भिण्ड में झूठे मामले दर्ज करने का भी चलन है। उन्होंने कहा, "कोई व्यक्ति गोली का शिकार होता है तो उसकी शिकायत में वह निर्दोष लोगों का नाम लेता है। जिनके साथ वह अपने पुराने विवाद का निपटारा करना चाहता है लेकिन क्यू आर कोडिंग के जरिए हम आसानी से गोली चलाने वाले हथियार और उसके मालिक का पता लगा सकते हैं।"
उन्होंने कहा कि कोडिंग के जरिए एक घायल व्यक्ति द्वारा निर्दोष लोगों को फंसाने की गुंजाइश नहीं रहेगी।
मध्यप्रदेश में विधानसभा की 28 सीटों के लिए होने वाले उपचुनावों के मद्देनजर बंदूक के इस्तेमाल और हिंसा रोकने के लिए भिण्ड जिले में पुलिस ने एक नई पहल की है। इसके तहत कारतूसों पर क्यूआर कोड की मुहर लगाई जा रही है ताकि गोली चलाने वाले की पहचान जल्द और आसानी से हो सके।
मध्यप्रदेश में तीन नवंबर को 28 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के तहत भिण्ड जिले में दो सीटों तथा ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में 16 सीटों पर उपचुनाव हो रहा है।
चंबल के बीहड़ कभी मलखान सिंह और पान सिंह तोमर जैसे बागियों का अड्डा रहे थे जिन्होंने बंदूक के दम पर इलाके में आतंक का राज कायम किया था। "बैंडिट क्वीन" फूलन देवी ने भी सांसद बनने से पहले चंबल के बीहड़ों में ही राज किया था।
जिला पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह ने पीटीआई से बात करते हुए कहा, "पिछले पांच साल में भिण्ड में 150 हत्याएं हुई हैं। इनमें से अधिकांश अवैध हथियारों के इस्तेमाल से हुई हैं।" पुलिस सूत्रों ने बताया कि पिछले विधानसभा चुनावों जिले में हिंसा और धांधली करने की कोशिशें हुई थीं जिन्हें नाकाम कर दिया गया था।
उन्होंने कहा, "इसलिए उपचुनावों से पहले पुलिस ने जिले में 22 हजार से अधिक हथियार लाइसेंसधारियों को क्यूआर कोड वाली गोलियां लेने के लिए कहा है। इस सप्ताह से इसकी शुरुआत हो गई है। एक कारतूस पर क्यूआर कोड चिह्नित करने के लिए सिर्फ एक पैसा खर्च होता है। इसमें बंदूक के लाइसेंसधारी का विवरण होता है जिससे पुलिस लगभग तुरंत उसका पता लगा सकती है।"
एक सवाल के जवाब में सिंह ने कहा कि कारतूसों पर कोड लगाने का काम न केवल उपचुनावों को देखते हुए किया जा रहा है लेकिन यह बंदूक संस्कृति को काबू में रखने में आगे भी सहायक होगा। उन्होंने बताया कि चुनाव के दौरान लाइसेंसी हथियार पुलिस द्वारा जमा करा लिए जाते हैं।
उन्होंने कहा कि इस उपचुनाव के दौरान अगर किसी ने देशी हथियार से भी क्यूआर कोड वाली गोली दागी तो हम गोली चलाने वाले तक पहुंच सकते हैं क्योंकि क्यूआर कोड चिह्नित खाली गोली हमें पूरी जानकारी देगी।
सिंह से पूछा गया कि इस पहल से भिण्ड जिले में, जहां अपराधी देश के विभिन्न स्थानों से हथियार और गोलियां प्राप्त करते हैं, क्या असर होगा तो उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य क्षेत्र में प्रचलित बंदूक संस्कृति को कम करना है। उन्होंने कहा, "इसमें यदि में एक भी जीवन को बचाने में सफल होता हूं तो मुझे खुशी होगी।" सिंह ने बताया कि वह पिछले दो साल से इस योजना पर काम कर रहे हैं।
सिंह ने कहा कि भिण्ड में झूठे मामले दर्ज करने का भी चलन है। उन्होंने कहा, "कोई व्यक्ति गोली का शिकार होता है तो उसकी शिकायत में वह निर्दोष लोगों का नाम लेता है। जिनके साथ वह अपने पुराने विवाद का निपटारा करना चाहता है लेकिन क्यू आर कोडिंग के जरिए हम आसानी से गोली चलाने वाले हथियार और उसके मालिक का पता लगा सकते हैं।"
उन्होंने कहा कि कोडिंग के जरिए एक घायल व्यक्ति द्वारा निर्दोष लोगों को फंसाने की गुंजाइश नहीं रहेगी।