अनोखा विवाह: महाराष्ट्र से आया बैल बना दूल्हा तो एमपी की गाय बनी दुल्हन, 50 गांव के लोगों ने निकाली बारात
Khargone: मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के महेश्वर में एक अनूठा विवाह देखने को मिला है। यहां इस विवाह में दुल्हाराजा एक बैल बना है तो वहीं उसकी दुल्हन एक गाय बनी है। यही नहीं इस विवाह में दूल्हा बने बैल की बारात में महाराष्ट्र के 50 गांव से सैकड़ों लोग शामिल होने महेश्वर पहुंचे। जहां हजारों लोगों की तादाद में डीजे और बैंड बाजों की धुन पर नाचते गाते दूल्हे बैल की बारात निकाल कर दुल्हन बनी गाय के घर बाराती बनकर पहुंचे।
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खरगोन जिले के महेश्वर में शुक्रवार शाम एक अनूठा विवाह संपन्न हुआ। यह विवाह किसी इंसान का नहीं बल्कि गाय और बैल का विवाह था। यहां महाराष्ट्र से हजारों की संख्या में पहुंचे बारातियों ने अपने साथ लाये बैल को दूल्हे के रूप में सजाकर बैंड बाजे के साथ उसकी बारात निकाली। महाराष्ट्र के धूलिया और जलगांव जिले से इस विवाह में शामिल होने महेश्वर पहुंचे भरवाड़ और मालधारी समाज के हजारों सामाजिक बंधुओं ने इस तरह का अनोखा आयोजन किया।
यहां समाज जन भी किसी दूल्हे के बारात की तरह ही सज धज कर किसी बारात की तरह ही डीजे और बैंड बाजों की धुन पर नाचते गाते और दूल्हा बने बैल को साथ लिए दुल्हन गाय के घर पहुंचे। जिसके बाद पारम्परिक हिंदू रीति रिवाज के साथ दूल्हे बैल और दुल्हन गाय का ग्रामीणों ने विवाह संपन्न कराया। बताया जा रहा है कि इस तरह के विवाह पहले ऋषि मुनि और साधु संत भी कराते थे जिससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। क्योंकि नंदी भगवान शिव का प्रिय है और इस तरह के आयोजन से भगवान शिव को प्रसन्न किया जा सकता है। इसलिए इसे शिव विवाह भी कहते हैं
डीजे सहित बैंड बाजे की धुन पर निकली बारात
इस कैड़ा कैड़ी के शिव विवाह में समाज के लोगों ने जहां एक तरफ तो बैल को बाकायदा दूल्हे के रूप में सजाया हुआ था, वहीं किसी विवाह कि तरह ही डीजे और बैंड बाजे की धुन पर थिरकते हुए ये सभी समाजजन हजारों की संख्या में बाराती बनकर महेश्वर नगर में दुल्हन बनी गाय का विवाह करने पहुंचे। ग्रामीणों ने इस विवाह का नाम शिव विवाह रखा। शिव विवाह में दुल्हन गौमाता नंदिनी जो महेश्वर निवासी थी और दूल्हा बना बैल नंदकिशोर दैवद गांव शिरपुर महाराष्ट्र से अपनी दुल्हन लेने पहुंचा था।
इस विवाह से महादेव होते हैं प्रसन्न
बता दें कि इस विवाह का आयोजन करने वाले संत राणा भगत ने बताया कि मैंने कैड़ा कैड़ी की शादी करने का सोचा था और मैं गुजरात छोड़कर जब से इधर महेश्वर आया था तो मैंने सबसे कहा था कि मैं अनुष्ठान करूंगा और इस कैड़ा कैड़ी की शादी का बड़ा महत्व है। पहले ऋषि मुनि, साधु लोग भी कैड़ा कैड़ी की शादी कराते थे। उसको शिव विवाह बोलते हैं और इसे केड़े को शंकर भगवान का, महादेव का नंदी बोलते हैं।
इसलिए इसमें महादेव खुद राजी होते हैं, प्रसन्न होते हैं। तो इसलिए मेरे महादेव की कृपा हो इसलिए मैंने कैड़ा कैड़ी की शादी कराया है। सतगुरु की कृपा से और अहिल्या मां की परम भूमि महेश्वर में यह विवाह करने का हमने सोचा और इसके लिए सब समाज लोग, भक्त लोग और हमारे गुरु महाराज, माताजी और सब साधु संत लोग सब मिलकर इस विवाह में आए हैं । इस शादी में गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश से लगभग 2000 से अधिक लोग आए हुए हैं।