Nautapa 2022 : सभी ग्रहों के अधिपति भगवान सूर्य बृषभ राशि की यात्रा के मध्य 25 मई को दोपहर 02 बजकर 51 मिनट पर रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश कर रहे हैं। इनके बृषभ राशि में प्रवेश के साथ ही ग्रीष्मऋतु की युवावस्था आरम्भ हो चुकी है और इसी दिन से गर्मी का चरम 'नौतपा' भी आरम्भ हो जाएगा। इनकी तपिश के परिणामस्वरुप मानसून बनने की प्रक्रिया का शुभारम्भ भी हो जाएगा जिसके फलस्वरूप कृषक वर्ग खरीफ की फसलों की बुवाई की तैयारी में लग जाएंगे। नौतपा के मध्य आगजनी की घटनाएं सबसे ज्यादा होती हैं किन्तु पृथ्वी पर जन-जीवन के लिए हानिकारक विषाणुओं का शमन होने लगता है।
शास्त्र कहते हैं कि केवल सूर्य की ही आराधना से ही मनुष्य की जन्मकुंडली में विराजमान सभी ग्रहदोषों से मुक्ति मिलती है। प्रत्यक्ष देवता सूर्य और चन्द्र में दोनों में ही पूर्व के जन्मों के पाप शमन करने शक्ति रहती है। 'पूर्व जन्म कृतं पापं व्याधि रूपेण जायते' अर्थात पूर्व के जन्मों में किया गया पाप रोग के रूप में उत्पन्न होता है। इन्हें अर्घ्य देकर और प्रणाम करके ही प्राणी भवसागर से मुक्त हो जाता है। जैसे रत्नों का आश्रय मेरुपर्वत,आश्चर्यों का आश्रय आकाश,तीर्थों का आश्रय गंगा हैं उसी प्रकार सभी देवाताओं के आश्रय भगवान सूर्य हैं। देवगण भी भगवान सूर्य की ही आराधना करते हैं। इस चराचर जगत में सभी प्राणियों के हृदय के ही सूर्य का निवास है यही जगतात्मा हैं,इनके रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश और नौतपा के आरम्भ होने के परिणामस्वरूप गर्मी और लू से बचने के उपाय करते रहें।
नौतपा और ज्योतिषीय गणना
आज ( 25 मई 2022)से शुरू हो रहा नौतपा 3 जून तक रहेगा। सूर्य के वृषभ राशि में रहते हुए जब रोहिणी नक्षत्र में आते है तब नौतपा आरंभ हो जाता है। रोहिणी नक्षत्र में सूर्य के विराजमान होने पर गर्मी अपने चरम पर होती। ज्योतिष गणनाओं के मुताबिक पूरे नौतपा के दौरान मीन,मेष और वृष राशि में तीन ग्रहों की युति रहेगी। इसके अलावा नौतपा से पहले शुक्र मेष राशि में। मंगल और गुरु का नक्षत्र एक ही रहेगा और बुध वक्री और अस्त भी रहेगा। नौतपा के दौरान ग्रहों की ये स्थिति मौसम में अचानक बदलाव होने के संकेत दे रहे हैं। इसके अलावा दुर्घटनाएं और जन-धन हानि की भी आशंका है।
कब होता है नौतपा ?
नौतपा जैसे की इसके नाम से ही स्पष्ट होता है नौ दिन तक पृथ्वी का तापमान अधिक रहेगा। ज्योतिष की गणना के अनुसार जब सूर्य वृषभ राशि की यात्रा के दौरान रोहिणी नक्षत्र में आकर 10 से 20 अंश तक रहता तब इसे नौतपा कहा जाता है। इन नौ दिनों तक सूर्य पृथ्वी के काफी नजदीक आ जाता है। रोहिणी नक्षत्र में सूर्य करीब 15 दिनों तक रहता है,लेकिन नौतपा के शुरुआती 9 दिनों में ज्यादा तापमान रहता है जिसके कारण गर्मी ज्यादा रहती है। पृथ्वी पर सूर्य का तापमान 9 दिनों तक सबसे ज्यादा रहता है इस कारण से इसे नौतपा कहता है।
नौतपा और मान्यताएं
ऐसी मान्यता है कि नौतपा के दौरान अगर बारिश न हो और वातावरण भी ठंडा न हो तो आने वाले दिनों में अच्छी बारिश होने की संभावना होती है। नौतपा में सूर्य रोहिणी नक्षत्र में रहते हुए मानसून गर्भ में रहता है इसी कारण से नौतपा को मानसून का गर्भकाल माना जाता है।