डेंगू हो जाए तो घबराएं नहीं, एक एक नुस्ख अपना लें। मरीजों के लिए यह ऐसा 'रामबाण' है, जो दवाइयों से ज्यादा असरदार है। जानिए यह कैसे फायदा करेगा।
चंडीगढ़, मोहाली के एरिया जीरकपुर में 25 मलेरिया और 8 डेंगू के नए केस मिले हैं। सिविल अस्पताल में तैनात सीनियर मलेरिया इंस्पेक्टर रजिंदर सिंह ने बताया कि ज्यादातर मरीज अब ठीक होकर अपने घर जा चुके हैं, जबकि कुछ का इलाज अभी अस्पताल में चल रहा है। तंदुरुस्त पंजाब मुहिम के तहत सेहत विभाग की टीम ने शनिवार को भी कई इलाकों में डेंगू के लारवा को खत्म किया सर्वे के दौरान टीम को 50 जगह डेंगू का लारवा मिला, जिसे नष्ट कर दिया गया।
डॉक्टर ने बताया कि अगर डेंगू हो जाए, होम्योपैथिक इलाज बेहद ही कारगर है लेकिन ज़्यादातर मामलों में मरीज़ या उसके परिजन ऐलोपैथी पर ही भरोसा जताते हैं। होम्योपैथी पद्धति बेहद ही भरोसेमंद है और इसमें किसी तरह के साइड-इफेक्टस भी नहीं होते। होम्योपैथिक इलाज के दौरान मरीज़ को नियमित दवाओं के साथ-साथ रक्त जांच के ज़रिये प्लेटलेट्स और ल्यूकोसाइट्स काउंट करवाते रहना चाहिए। होम्योपैथिक दवाओं में किसी तरह का साइड इफेक्ट देखने को नहीं मिलता लिहाजा होम्योपैथिक दवाएं डेंगू से पीड़ित गर्भवती महिलाओं को भी दी जा सकती हैं।
कालमेघ के पौधे, जिससे डेंगू और चिकनगुनिया का इलाज संभव है। कालमेघ का नाम एंड्रोग्राफिस पेनिकुलाटा है। पचक आयुर्वेदिक औषधि के रूप में इसका इस्तेमाल सदियों से भारत में हो रहा है। इसकी पत्तियों और तने के मैंथोलिक एक्सट्रेक्ट (रस) में तीव्र एंटीवायरल गुण पाये गये हैं, जो डेंगू और चिकुनगुनिया के वायरस को खत्म करने में सक्षम है। एमडीयू रोहतक की माइक्रोबायोलॉजी लैब में एनिमल सेल कल्चर में इस पौधे के ये गुण सामने आए हैं। अब इससे असरकारक मॉलिक्यूल को अलग कर कारगर दवा बनाने की दिशा में काम हो रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार लैब में इसका टिश्यू कल्चर और एनिमल सेल कल्चर के परिणाम सकारात्मक रहे हैं। कालमेघ को भूमिनिंभ भी कहा जाता है।
सस्ता, पर घरेलू इलाज
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (नाइपर) के वैज्ञानिक ने डेंगू की बीमारी का सस्ता इलाज ढूंढ निकालने का दावा किया है। डॉ हरबंस सिंह का दावा है कि आंवले का एक ऐसा काढ़ा तैयार किया गया है, जिसे पीने से डेंगू का मरीज ठीक हो सकता है। काढ़े में आंवला के अलावा नीम, पपीते के पत्ते और गिलोय का भी उपयोग किया गया है। उनका दावा है कि नाइपर की ओपीडी में यह काढ़ा मरीजों को मुफ्त दिया जा रहा है। पंजाब के कई जिलों में इस काढ़े को मुफ्त में बांटा गया।