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मिलिए, UPSC टॉपर बनी देश की सबसे कम उम्र की बेटी से
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मिलिए, यूपीएससी परीक्षा पास करने वाली सबसे कम उम्र की बेटी से। ये हैं अंबाला की 23 वर्षीय आशिका जैन। जिन्होंने यूपीएससी की परीक्षा में 74वां रैंक हासिल किया। बेटी की इस कामयाबी पर आशिका के परिजन और अंबाला को पूरा फख्र है। आशिका की इसी कामयाबी को न केवल विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सराहा, बल्कि विभिन्न न्यायालयों के न्यायाधीशों ने भी आशिका को बधाई दी है। रिपोर्ट: मोहित धुपड़, अंबाला।
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दरअसल, आशिका ने पिछले साल ही अपने वकील पिता के साथ वकालत भी शुरू की थी और बहुत कम उम्र में उन्होंने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में कई सीनियर केसों में पैरवी करके जीत भी हासिल की। लेकिन अब देश की सबसे कम उम्र की यूपीएससी की परीक्षा पास करने वाली छात्रा बनकर आशिका ने एक और इतिहास रचा है। इसलिए आशिका की कामयाबी पर कई जजों ने फख्र महसूस कर आशिका को उपलब्धि को सराहा है।
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अमर उजाला से बातचीत करते आशिका जैन ने बताया कि उनकी पहली लड़ाई भ्रष्टाचार से है और इसके लिए उन्होंने जैन सिद्धांत के अनुसार अपरिग्रह का रास्ता चुन लिया है। उनके अनुसार अपरिग्रह का मतलब है अपनी जरूरतों को पूरी तरह से सीमित कर लो, उसके बाद आपको को न तो नाजायज धन की जरूरत पड़ेगी और न ही किसी अन्य वस्तु की। इसी सिद्धांत को मैं आगे बढ़ाऊंगी और इसी को हथियार बनाकर भ्रष्टाचार से लड़ूंगी।
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आशिका अपने माता-पिता की इकलौती संतान हैं। इसलिए आशिका को भी सामाजिक विषमताएं झेलनी पड़ी। माता-पिता को बहुत लोग कहते थे कि एक बेटा होना भी जरूरी है। यह सुनकर मन में कसक तो रहती थी। आशिका कहती है कि तभी ठान लिया था कि एक दिन ऐसा करूंगी कि पूरा शहर मुझ पर नाज करने को मजबूर हो जाएगा और आज वो दिन आ गया। इसलिए मेरी दूसरी लड़ाई कन्या भ्रूण हत्या से होगी। मेरे परिवार मका मुझे पूरा सहयोग है, मैं इस लड़ाई को दूर तक लड़ूंगीं।
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आशिका को साफ-सफाई भी बहुत पसंद है। यही संदेश वह दूसरों को भी देना चाहती हूं। आशिका के अनुसार बचपन से ही उन्हे ये आदत थी कि यदि उनका घरवाला कोई छिलका या रैपर इधर-उधर फेंक देता था तो वे उसे उठाकर डस्टबिन में फेंकती थीं। इसी आदत पर उसकी एक बार अपने पिता से झगड़ा हो गया। पंद्रह दिन तक पिता से नहीं बोली, आखिर में पिता को ही अपनी आदत में सुधार करना पड़ा।
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