प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीआईपी कल्चर बैन तो कर दिया, लेकिन इसके कारण अफसरों और मंत्रियों की लाइफ कई मायनों में बदल गई। देखिए आखिर किस तरह की।
देश में लालबत्ती कल्चर खत्म करने के बाद देश में अफसरों, मंत्रियों और विधायकों के लिए कई मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। लालबत्ती की चमक और हूटर की धमक के साये में चलने वाले सूबे के बड़े नेता व अफसर इस बात से परेशान हैं कि वे आम लोगों को अपने वीआईपी स्टेट्स का अहसास कैसे करवाएं? बता दें कि इसकी शुरुआत सबसे पहले पंजाब में हुई थी।
पंजाब का सीएम बनते ही कैप्टन अमरिंदर सिंह ने लाल और नीली बत्ती हटाने का फैसला लिया था। उन्हीं की एक विधायक कुलजीत सिंह नागर ने शिकायत की है कि लाल बत्ती हटाने के कारण उन्हें टोल पर काफी समय तक इंतजार करना पड़ा। वहीं पुलिस वाले अब उन्हें सेल्यूट भी नहीं करते। टोल पर इंतजार करना पड़ा, जिसके कारण उनका दिनभर का शेड्यूल बिगड़ गया और वे अपने काम पूरे नहीं कर सकीं।
कुछ अन्य विधायकों और मंत्रियों का भी कहना है कि लालबत्ती का कल्चर खत्म होने के बाद फिल्ड में उन्हें कई तरह की समस्याएं पेश आ रही हैं। सबसे बड़ी दिक्कत टोल पर पेश आती है। वहां टोल अथॉरिटी के कारिंदे उनकी कारों को रोकने लगे हैं। जब उन्हें अफसर व विधायक अपना स्टेट्स बताते हैं, तो भी कई बार गाड़ी पर लालबत्ती न होने की बात कहकर कारिंदों से उनके वाहन चालकों की बहस हो जाती है।
कई विधायक और अफसर तो ऐसे विवादों से बचने के लिए कार की छत से उतारी लालबत्ती को कार के भीतर डैश बोर्ड पर रखकर चल रहे हैं, ताकि अपनी टोर को कार के बाहर नहीं तो भीतर से दिखा सकें। अफसरों, विधायकों कहते हैं कि वे पीएम के वीआईपी कल्चर खत्म करने की पहल की सराहना करते हैं, लेकिन कुछ व्यवस्था ऐसी जरूर होनी चाहिए, जिससे आमजन को पता चले कि वाहन में कोई अफसर या विधायक मौजूद है।