हरियाणा विधानसभा सत्र के दौरान हरियाणा सरकार की मुश्किलें फिलहाल थोड़ा कम होती दिख रही हैं। एक बार फिर आंदोलन के लिए तैयार जाट नेताओं ने प्रदेश के मुख्य सचिव से बातचीत के बाद आंदोलन 31 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया है। जाट नेताओं ने सरकार को आरक्षण देने के लिए सुझाव भी दिए हैं। हालांकि, अभी तक आरक्षण के प्रारूप पर अंतिम फैसला नहीं हो सका है। सरकार जहां जाटों को बीसी-सी श्रेणी के तहत आरक्षण देना चाह रही है, वहीं जाट नेताओं ने बीसी-बी श्रेणी में आरक्षण की वकालत की है।
मीटिंग में जाट नेता
जाटों का कहना है कि यदि बीसी-बी श्रेणी में आरक्षण को लेकर कानूनी अड़चनें आती हैं तो इसके लिए सेक्शन-नौ के तहत सरकार से आरक्षण की पैरवी करने का विकल्प रखा गया है। विधानसभा सत्र में जाट आरक्षण के मामले को रखे जाने के लिए पहले ही प्रारूप तैयार कर लिया गया था। शुक्रवार को करीब साढ़े तीन घंटे तक चली जाट समुदाय और खाप प्रतिनिधियों के साथ अधिकारियों की बैठक में सात बिंदु रखे गए। बैठक में इन्हीं सात बिंदुओं पर चर्चा हुई, जिनमें अधिकतर पर सहमति बन गई।
मीटिंग में जाट नेता
बैठक में इन्हीं सात बिंदुओं पर चर्चा हुई, जिनमें अधिकतर पर सहमति बन गई। मुख्य सचिव डीएस ढेसी के साथ वार्ता में जाटों ने बीसी (बी) कैटेगरी के तहत आरक्षण देने का सुझाव दिया, जबकि बीसी (सी) के तहत आरक्षण का लाभ लेने से इनकार कर दिया। इस दौरान खाप नेता सुरिंदर दहिया, विनीत धनखड़ सहित कई जाट और खाप नेता मौजूद थे।
जाट नेताओं के साथ मीटिंग के दौरान मुख्य सचिव और अन्य अधिकारी।
इन बिंदुओं पर हुई चर्चा
-बीसी-बी कोटे के तहत आरक्षण में तीन फीसदी की बढ़ोतरी कर 14 फीसदी आरक्षण देने की मांग
-सत्र के दौरान आरक्षण संबंधी विधेयक को पारित किया जाए
-केंद्र के स्तर पर एक कमेटी का गठन
-जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा देने सहित सरकारी नौकरी
-बिना सुबूत किसी पर आपराधिक मामले नहीं दर्ज किए जाएं
-आंदोलन के दौरान जिन लोगों पर गलत तरीके से मामले दर्ज किए गए हैं, उन्हें वापस लिया जाए
-जिन अधिकारियों ने इस आंदोलन के दौरान पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया या कोताही बरती उन पर कार्रवाई
जाट नेताओं से मीटिंग के बाद प्रेस कांफ्रेस करते हरियाणा के मुख्य सचिव।
यशपाल मलिक, जाट नेता ने बताया कि जाट आरक्षण से जुड़े तमाम पहुलओं पर बातचीत हुई। इनमें से तकरीबन सभी मुद्दों पर आम सहमति बन गई। आरक्षण के लिए कमेटी के सामने बीसी-बी कोटे के तहत आरक्षण के अलावा शेड्यूल-नौ (सी) के तहत आरक्षण का सुझाव रखा गया है। विधानसभा सत्र के दौरान इस संबंध में विधेयक लाए जाने का आश्वासन दे दिया गया है। फिलहाल 31 मार्च तक कोई अल्टीमेटम नहीं है। अगर इस दौरान आरक्षण को लेकर अंतिम फैसला नहीं लिया जा सका तो तीन अप्रैल को आगे की रणनीति तैयार की जाएगी।
डीएस ढेसी, मुख्य सचिव, हरियाणा सरकार ने बताया कि आरक्षण से जुड़े सभी पहलुओं पर विस्तृत चर्चा हुई। डीजीपी सहित अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में प्रतिनिधियों के सभी बिंदुओं पर सहमति बन चुकी है। इसका प्रारूप तैयार कर लिया गया है। विधानसभा सत्र के दौरान ही इस संबंध में विधेयक पेश किया जाएगा।