देहरादून में हुए दर्दनाक हादसे में अपनी गर्भवती पत्नी और 22 साल की बहन की जान गंवाने वाले समीर ने मौत की रात की दर्दनाक कहानी बयां की। बताया कि ‘रात में बारिश शुरू होते ही हम सब सो गए थे। किरन भी मेरे पास सोई थी। नींद इतनी गहरी थी कि अगर आवाज भी हुई होगी तो वह सपना सा लग रही थी। आंख खुली तो पत्थरों (मलबा) के बीच मैं पड़ा था’।
समीर को हादसे में ज्यादें चोट नहीं आई है। इमरजेंसी के बाद उसे अस्थि वार्ड में शिफ्ट कर दिया है। रोते हुए समीर ने बताया कि जब हादसा हुआ तो किसी को कुछ पता नहीं चला लेकिन, अचानक नींद खुली तो मलबे में फंसा था। हाथ-पैर नहीं चल पा रहे थे। पत्नी का ख्याल आया तो उसकी भी आवाज नहीं आ रही थी। अंधेरा बहुत था।
हाथ से टोह लेना चाह रहा था लेकिन, हाथ नहीं चल रहे थे। मदद के लिए चिल्ला रहा था। लेकिन, आवाज किसी तक नहीं पहुंच रही थी। कुछ देर तक बस सन्नाटा था। बाद बाहर कुछ आवाजें सुनाई दी। तब लगा अब शायद कोई बचाने आया है। बगल के कमरे में वीरेंद्र का परिवार था।
इसी बीच पुलिस की नजर पड़ी। पुलिस उन्होंने वीरेंद्र के बेटे कृष को बाहर निकाला। उसके बाद मुझे। बाहर आकर देखा तो लोगों की भारी भीड़ जुटी थी। लेकिन मेरा अपना कोई नहीं था। पत्नी किरन, बहन प्रमिला सब मकान में दबी थी।
समीर ने बताया कि कैसे-कैसे हुआ ये हादसा यह सोचने और देखने का वक्त तो कुदरत ने नहीं दिया। लेकिन, जहां मैं पड़ा था मेरे ऊपर बेड पड़ा था। शायद मेरा बेड पलट गया था जिससे मैं बच गया।