अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत जितने बड़े संत थे उतने ही उदार और सौम्य भी। विवादों से भले उनका नाता जुड़ा रहा, लेकिन नरेंद्र गिरि सबके लिए समान व्यवहार रखते थे। अधिकतर समय प्रयागराज में रहते थे, लेकिन हरिद्वार आने पर सभी संतों से चर्चा करते थे।
स्वयं श्री निरंजनी अखाड़े से जुड़े थे, लेकिन अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष के नाते सभी अखाड़ों और संप्रदाय के संतों से उनकी बेहद नजदीकियां रही। केंद्र से प्रदेश की सत्ता में कोई भी पार्टी रहे, उनका आशीर्वाद लेने सभी नेता आते थे।
महंत नरेंद्र गिरि: रामजन्म भूमि आंदोलन में निभाई थी अहम भूमिका, विवादों से जुड़े 17 संतों को अखाड़ा परिषद से किया था बाहर
भक्तों से मुलाकात करने के लिए किसी तरह का प्रोटोकॉल फॉलो नहीं करते थे। हर किसी को भगवन से संबोधन करते थे। उनका सौम्य स्वभाव ही था कि उनके शिष्य आनंद गिरि पर को उन्होंने विवाद के बाद भी माफ कर दिया था।
नरेंद्र गिरि: ...जब कुंभ को सांकेतिक कराने पर झेली थी संतों की नाराजगी, संक्रमित होने के बाद नहीं कर पाए थे शाही स्नान
संत आनंद गिरि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ब्रह्मलीन श्रीमहंत नरेंद्र गिरि के सबसे प्रिय शिष्य रहे। मई 2021 में गुरु-शिष्य के बीच तल्खियां बढ़ीं। इसकी वजह शिष्य पर संत परंपरा का उल्लंघन कर परिवार से मिलने और गद्दी का चढ़ावा निजी हितों पर लगाने का आरोप था। कई दिनों तक गुरु-शिष्य के विवाद एवं आरोप प्रत्यारोपों के बीच गुरु पूर्णिमा पर नरेंद्र गिरि ने संत आनंद गिरि को माफ करते हुए आशीर्वाद दिया।
स्वयं श्री निरंजनी अखाड़े से जुड़े थे, लेकिन अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष के नाते सभी अखाड़ों और संप्रदाय के संतों से उनकी बेहद नजदीकियां रही। केंद्र से प्रदेश की सत्ता में कोई भी पार्टी रहे, उनका आशीर्वाद लेने सभी नेता आते थे।
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भक्तों से मुलाकात करने के लिए किसी तरह का प्रोटोकॉल फॉलो नहीं करते थे। हर किसी को भगवन से संबोधन करते थे। उनका सौम्य स्वभाव ही था कि उनके शिष्य आनंद गिरि पर को उन्होंने विवाद के बाद भी माफ कर दिया था।
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