UPSC Success Story: कहते हैं परिश्रम का कोई विकल्प नहीं होता। इसके दम पर चाहे कितनी भी मुश्किल मंजिल हो, उसे प्राप्त किया जा सकता है। ऐसी ही कहानी होती है एक यूपीएससी एस्पिरेंट की। कठिन परिश्रम का स्तर ऐसा होता है कि उम्मीदवार न दिन देखते हैं न रात। कोई अपने घरों में तो कोई अपने घरों से हजारों किलोमीटर दूर रह कर यूपीएससी के सपने को साकार करने की तैयारियों में लगा होता है। ऐसे ही कुछ उम्मीदवारों की कहानी हम समय-समय पर आपके पास UPSC Success Story स्टोरी के रूप में लाते रहते हैं। आज इस कड़ी में हम एक और कहानी लेकर आए हैं। एक ऐसी महिला आईएएस जो दिव्यांग है। हालांकि, इसके बावजूद उन्होंने अपनी शारीरिक अक्षमता को अपने सपनों के रास्ते में नहीं आने दिया और अपने आईएएस बनने के सपने को सच कर दिखाया।
जानें इरा सिंघल के बारे में
इरा सिंघल उत्तर प्रदेश राज्य के मेरठ की रहने वाली हैं। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा मेरठ के सोफिया गर्ल्स स्कूल और दिल्ली के लोरेटो कॉन्वेंट स्कूल से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली स्थित नेताजी सुभाष इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से बीटेक किया और आगे जाकर डीयू से एमबीए की डिग्री हासिल की। इतना ही नहीं, इरा ने कोका कोला कंपनी में मार्केटिंग इंटर्न और इसके बाद कैडबरी इंडिया में बतौर स्ट्रेटजी मैनेजर भी कार्य किया है।
कैसे देखा यूपीएससी का सपना?
इरा ने बचपन में अपने जिले में कई बार कर्फ्यू देखा था। उन्हें हर बार यह पता चलता था कि यह कर्फ्यू डीएम के आदेश पर लगाया गया है। उन्हें यह बात बताई गई कि डीएम बहुत शक्तिशाली व्यक्ति होता है। बस यहीं से इरा ने भी ठान लिया कि वह भी यूपीएससी की तैयारी करेंगी। दरअसल, इरा रीढ़ की वक्रता से पीड़ित है, जिसे स्कोलियोसिस कहा जाता है। दिव्यांग होने के कारण लोगों को उनकी योग्यता पर शक भले रहा हो। पर इरा ने कभी इसे अपनी मंजिल के बीच में नहीं आने दिया।
तीन बार आईआरएस में चयन
इरा सिंघल की प्रतिभा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने 2010, 2011 और 2013 तीनों साल यूपीएससी की परीक्षा पास की थी। तीनों बार उनका चयन आईआरएस के पद पर हुआ। हालांकि, 62 फीसदी लोकोमोटर दिव्यांगता के कारण उन्हें ज्वाइन नहीं करने दिया गया। इरा ने इसके खिलाफ कानूनी लड़ाई भी लड़ी और साल 2014 में केस जीतकर आईआरएस का पद प्राप्त किया।
पहली दिव्यांग महिला टॉपर
इरा सिंघल ने अपनी कामयाबी का सफर आईआरएस के पद पर रुकने नहीं दिया। उन्होंने साल 2014 की सिविल सेवा परीक्षा में टॉप कर के दिखाया। वह देश की पहली पहली दिव्यांग महिला टॉपर बनीं। उन्होंने इस परीक्षा में सबसे अधिक अंक प्राप्त किए थे। उनकी यह कहानी हर किसी के लिए एक प्रेरणा है। इरा को विकलांगता विभाग, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, महिला और बाल विकास मंत्रालय और नीति आयोग का ब्रांड एंबेसडर भी बनाया गया।