कोरोना महामारी में नौकरी छूटी तो गोरखपुर का युवक उद्यमी बन गया। प्रधानमंत्री रोजगार योजना के तहत 25 लाख का ऋण लेकर गांव में बर्तन बनाने की फैक्टरी लगाई है, जिसमें 15 लोगों को रोजगार मिला है। पानी पीने के गिलास से लेकर विभिन्न तरह के बर्तन बनाते हैं और गोरखपुर से लेकर फैजाबाद तक आपूर्ति करते हैं। आगे की स्लाइड्स में देखें तस्वीरें...
यह उद्यमी गोरखपुर जिले के पिपरौली क्षेत्र के तिनहरा गांव के रहने वाले हैं। इनका नाम यज्ञ नारायण है। उन्होंने इंटर तक की पढ़ाई मुरारी इंटर कॉलेज से की फिर दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीए ऑनर्स किया। जून 2019 में पिता से 50 हजार रुपये लेकर उन्होंने मिट्टी का बर्तन बनाने वाली कंपनी की एजेंसी लेकर सामान सप्लाई का काम शुरू किया।
सबसे पहले शहर के एक होटल में मिट्टी से बने कुल्हड़, गिलास, प्लेट, कटोरी की सप्लाई शुरू की। इस बारे में और जानकारी हासिल करने के लिए उन्होंने जनवरी 2020 में मेरठ की एक इंडस्ट्रीज में दो महीने तक मैनेजर के रूप में नौकरी की। वहीं, देवरिया के एक कारीगर से उनकी मुलाकात हुई। कारीगर ने उन्हें इस बारे में जानकारी दी।
पिछले साल मार्च में कोरोना महामारी के दौरान घर आ गए। यज्ञ नारायण के मुताबिक उन्होंने तभी ठान लिया कि गांव में ही बड़े पैमाने पर कार्य शुरू करेंगे। उन्होंने फैक्टरी का रजिस्ट्रेशन कराया। प्रधानमंत्री रोजगार योजना के तहत 25 लाख रुपये का प्रोजेक्ट बनाकर ऋण के लिए आवेदन किया। कर्ज स्वीकृत होने के बाद अक्तूबर 2020 में फैक्टरी आरंभ की। 10 मशीनें लगाई हैं, इसके अलावा तीन भट्ठियां हैं। एक भट्ठी में 25 हजार बर्तन पकाने की क्षमता है। बर्तनों की सप्लाई गोरखपुर से फैजाबाद तक होती है। उनकी फैक्टरी में 15 लोगों को रोजगार मिला है। प्रत्येक कारीगर को 12 से 15 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन देते हैं।
यज्ञ नारायण बताते हैं कि जल्द ही वे मिट्टी से बने प्रेशर कूकर बनाने का काम शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि मिट्टी के बर्तनों की मांग बढ़ती जा रही है। लोग प्लास्टिक के बर्तनों में खाने पीने से बचने लगे हैं। मिट्टी के बर्तन से किसी बीमारी का खतरा नहीं रहता है। बर्तन बनाने में चिकनी मिट्टी, रेतीली मिट्टी और दोमट मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है। उनका कहना है कि वे प्रत्येक माह इस व्यवसाय से 80 हजार से एक लाख रुपये बचा लेते हैं।