मानसून के समय में कई तरह की बीमारियों का खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है। डेंगू ऐसी ही एक गंभीर बीमारी है, जिससे हर साल देश में हजारों लोगों की मौत हो जाती है। मच्छरों के कारण होने वाली इस बीमारी में कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं का खतरा बढ़ जाता है, जो गंभीर स्थिति में मृत्यु का कारण भी बन सकती है। दक्षिण पूर्व एशिया, लैटिन अमेरिका और अफ्रीका के कई देशों में डेंगू बुखार हर साल लाखों लोगों की मौत का कारण बनता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक डेंगू के मच्छर साफ पानी में पनपते हैं और अक्सर दिन के समय में काटते हैं, इनसे बचाव आवश्यक है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक डेंगू वायरस से संक्रमित एडीज मच्छर के काटने से डेंगू बुखार होता है। सामान्यतौर पर डेंगू से संक्रमित व्यक्ति को काटने से मच्छरों में यह संक्रमण पहुंच जाता है, ऐसे मच्छर अन्य लोगों को संक्रमित कर सकते हैं। डेंगू, सीधे तौर पर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है। भारत के संदर्भ में बात करें तो डॉक्टरों का कहना है कि मानसून के आखिरी दिनों में इस बीमारी का खतरा देश में अधिक बढ़ जाता है। डेंगू के शिकार लोगों में तेज बुखार की समस्या होती है, गंभीर स्थिति में डेंगू का बुखार आंतरिक रक्तस्राव और अंगों की खराबी का भी कारण बन सकता है। कई लोगों में रक्तचाप का स्तर काफी कम हो जाता है जिससे उन्हें शॉक लग सकता है। आइए आगे की स्लाइडों में इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानते हैं।
डेंगू के संक्रमण में क्या लक्षण नजर आते हैं?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक डेंगू के शुरुआती लक्षण फ्लू की तरह होते हैं, जिसके कारण अक्सर लोग इसे पहचान नहीं पाते हैं। आमतौर पर संक्रमित मच्छर के काटने के चार से 10 दिनों के बाद इसके लक्षण दिखने लगते हैं। डेंगू में तेज बुखार होता है, समय के साथ इसके लक्षण धीरे-धीरे बढ़ते जाते हैं। डेंगू में लोगों को इस तरह के लक्षण भी हो सकते हैं।
- सिरदर्द
- मांसपेशियों, हड्डी या जोड़ों में दर्द
- मतली- उल्टी आना, पेट की खराबी
- आंखों के पीछे वाले हिस्से में दर्द
- त्वचा पर चकत्ते या लाल रंग के दाने निकलना
डेंगू के शिकार ज्यादातर लोग एक या दो सप्ताह के भीतर ठीक हो जाते हैं। कुछ मामलों में गंभीर लक्षणों की स्थिति और समय पर इलाज न मिल पाने के कारण यह जानलेवा भी हो सकती है। पेट में गंभीर दर्द, लगातार उल्टी आना, मूत्र-मल या उल्टी से खून आने जैसे लक्षण गंभीर स्थिति के संकेत हो सकते हैं।
इन स्थितियों में डेंगू का खतरा होता है अधिक
डॉक्टर बताते हैं, जब कोई मच्छर, डेंगू वायरस से संक्रमित व्यक्ति को काटता है, तो वायरस मच्छर में प्रवेश कर जाता है। फिर जब संक्रमित मच्छर दूसरे व्यक्ति को काटता है, तो वायरस उस व्यक्ति के रक्तप्रवाह में प्रवेश करके उसे संक्रमित कर देता है। एक बार डेंगू से संक्रमित रह चुके व्यक्ति को अगली बार भी संक्रमण हो सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक यदि आप डेंगू के प्रकोप वाले इलाकों में रहते हैं या हाल ही में ऐसे जगहों की यात्रा कर चुके हैं तो आपमें संक्रमण का जोखिम अधिक हो सकता है। जिन महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान डेंगू बुखार होता है, उनके बच्चे में भी वायरस फैलाने का खतरा रहता है।
डेंगू का निदान और इलाज
सामान्यतौर पर डेंगू बुखार के लक्षण, अन्य बीमारियों जैसे चिकनगुनिया, जीका वायरस, मलेरिया और टाइफाइड बुखार की तरह हो सकते हैं, ऐसे में इसके निदान के लिए डॉक्टर खून की जांच कराने की सलाह देते हैं। डेंगू की पुष्टि होने पर इसके लक्षणों के आधार पर इलाज शुरू किया जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक डेंगू बुखार के लिए कोई विशिष्ट उपचार उपलब्ध नहीं है। रोगी को खूब अधिक मात्रा में तरल पदार्थ लेने की सलाह दी जाती है। रोगी के लक्षणों के आधार पर दवाइयों को प्रयोग में लाया जाता है। कुछ रोगियों के रक्त में प्लेटलेट्स की मात्रा कम हो जाती है, जिसके लिए विशिष्ट उपचार की आवश्यकता हो सकती है।
डेंगू से सुरक्षित कैसे रहा जा सकता है?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक डेंगू से सुरक्षित रहने के लिए बचाव सबसे बेहतर उपाय हो सकता है। मच्छरों से बचने के प्रयास करे, डेंगू के मच्छर दिन के समय में अधिक काटते हैं। पूरी आस्तीन वाले कपड़ों को पहनें। डेंगू के मच्छर आम तौर पर स्थिर और साफ पानी में प्रजनन करते हैं, इसलिए मच्छरों को बढ़ने से रोकने के लिए पानी एकत्रित न होने दें। सप्ताह में कम से कम एक बार खाली कंटेनर, फूलदान, कूलर आदि से पानी निकालकर उन्हें साफ जरूर कर लें। इस तरह के बचाव के उपायों को प्रयोग में लाकर डेंगू के संक्रमण से सुरक्षित रहा जा सकता है।
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स्रोत और संदर्भ:
What is Dengue
अस्वीकरण नोट: यह लेख सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के सुझावों के आधार पर तैयार किया गया है। लेख में शामिल सूचना व तथ्य आपकी जागरूकता और जानकारी बढ़ाने के लिए साझा किए गए हैं। ज्यादा जानकारी के लिए आप अपने चिकित्सक से संपर्क कर सकते हैं।