डॉ. प्रियरंजन
इंटेंसिव केयर कंसलटेंट, उजाला सिग्नस
Medically Reviewed by Dr. Amandeep and Dr. Priyaranjan
देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर से हाहाकार जैसी स्थिति है। मेडिकल ऑक्सीजन और जरूरी चिकित्सा सुविधाओं की कमी के कारण लोगों को तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इतना ही नहीं लक्षण आने के बाद भी कई सारे लोगों की टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आ रही है। ऐसे में सवाल यह है कि इस स्थिति में लोगों को किस तरह की सावधानियां बरतने का जरूरत है। इसके साथ ही जिन लोगों की कोरोना जांच की रिपोर्ट निगेटिव है उन्हें कौन से लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
आइए जानते हैं कि इस बारे में डॉक्टरों की क्या राय है?
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विशेषज्ञ आरटी-पीसीआर परीक्षण को मानते हैं गोल्ड स्टैंडर्ड
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विशेषज्ञों की मानें तो कोरोना की जांच के मामले में आरटी-पीसीआर परीक्षण को 'गोल्ड स्टैंडर्ड' का माना जाता है, हालिया दिनों में कई ऐसे मामले देखने को मिले हैं जहां लोगों की आरटी-पीसीआर रिपोर्ट तो निगेटिव है लेकिन सीटी स्कैन जैसे अन्य जांच के माध्यम से उन्हें कोरोना से संक्रमित पाया जा रहा है। आखिर क्यों आ रही है इस तरह की दिक्कत?
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कितना भरोसा करें आरटी-पीसीआर परीक्षण पर
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अमर उजाला से एक बातचीत के दौरान उजाला सिग्नस के इंटेंसिव केयर कंसलटेंट डॉ. प्रियरंजन कहते हैं कि आरटीपीसीआर टेस्ट को काफी प्रमाणित माना जाता है। जांच की रिपोर्ट सही न आने का एक कारण यह भी हो सकता है कि सैंपल लेने का तरीका सही न रहा हो। इसमें नाक और गले के काफी अंदर से स्वैब लेने की सलाह दी जाती है। स्वैब लेने के दौरान अगर आप असहज महसूस नहीं करते हैं तो संभव है कि सैंपल सही से न लिया गया हो।
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बुखार-जुकाम को न करें नजरअंदाज
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जांच की रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी किन लक्षणों पर देना होगा विशेष ध्यान?
मौजूदा संकट के दौरान, सतर्कता और जागरूकता को ही वायरस के प्रसार को रोकने में सबसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है। रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी यदि आपको स्वाद या गंध न आने, बुखार, थकान, गले में खराश और सांस लेने में दिक्कत है तो इन लक्षणों को बिल्कुल नजरअंदाज न करें। ऐसे स्थितियों में तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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लक्षणों की निगरानी जरूरी
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ऐसी स्थिति में क्या करें?
विशेषज्ञों के मुताबिक सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण है कि आप खुद को दूसरे लोगों से अलग कर लें । अपने लक्षणों की निगरानी जारी रखें साथ ही पल्स ऑक्सीमीटर की मदद से ब्लड ऑक्सीजन के स्तर को समय-समय पर चेक करते रहें। यदि लक्षण बने रहते हैं तो 2-3 दिनों के बाद आप दोबारा से आरटी-पीसीआर टेस्ट करा सकते हैं। इसके अलवा अपने डॉक्टर या किसी विशेषज्ञ की सलाह पर पुष्टि के लिए सीटी स्कैन भी करवाएं।
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नोट: यह लेख इंटेंसिव केयर कंसलटेंट डॉ. प्रियरंजन से एक बातचीत और मीडिया रिपोर्टस के आधार पर तैयार किया गया है।
अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।