दुनियाभर में जिन बीमारियों के कारण मृत्युदर सबसे अधिक माना जाता है, एड्स उन्हीं में से एक है। एचआईवी नामक वायरस के कारण होने वाले इस रोग को वैसे तो लाइलाज माना जाता है, हालांकि पिछले कुछ वर्षों में हुए अध्ययन में वैज्ञानिक इसके उपचार के तरीकों को ढंंढने के लिए तेजी से काम कर रहे हैं। एड्स के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। आंकड़ों पर नजर डालें तो दुनियाभर में 37.9 मिलियन (करीब 3.79 करोड़) से अधिक लोग एचआईवी या एड्स से संक्रमित हैं। स्वास्थ्य संगठन साल 2030 तक एड्स को खत्म करने के लक्ष्य पर काम कर रहे हैं।
विश्व एड्स दिवस से दो दिन पहले एचआईवी पर संयुक्त संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम की रिपोर्ट में कहा गया है कि एचआईवी संक्रमण की दर में उस तेजी से फिलहाल गिरावट नहीं देखने को मिल रही है जिससे साल 2030 तक इसे खत्म करने के लक्ष्य को पूरा किया जा सके। अभी इस लड़ाई में और अधिक मेहनत की आवश्यकता है जिससे तेजी से बढ़ते इस रोग के मृत्युदर को कम किया जा सके।
एड्स की रोकथाम को लेकर लक्ष्य
यूएनएड्स ने जून में एचआईवी-एड्स की रोकथाम को लेकर नए लक्ष्य निर्धारित किए थे। इसमें रोगियों तक एचआईवी सेवाओं को 95 प्रतिशत तक पहुंचाने, वार्षिक एचआईवी संक्रमण की संख्या को घटाकर 370,000 से कम करने और साल 2025 तक एड्स से संबंधित मौतों को 250,000 से कम करने का लक्ष्य रखा गया था। हालांकि यूएनएड्स के कार्यकारी निदेशक विनी ब्यानिमा कहती हैं, फिलहाल के आंकड़े बताते हैं कि इन लक्ष्यों को प्राप्त करना काफी कठिन हो सकता है।
एड्स की रोकथाम जरूरी
यूएनएड्स की रिपोर्ट में एड्स की रोकथाम के लिए वैश्विक स्तर पर पांच जरूरी रणनीतियों को प्राथमिकता देने की बात कही गई है। इसमें महामारी की रोकथाम, तैयारियों और प्रतिक्रिया के लिए विश्व स्तर पर वित्त पोषण को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक समलैंगिक पुरुषों और यौनकर्मियों, इंजेक्शन द्वारा नशीली दवाओं का उपयोग करने वाले लोगों और कैदियों में एचआईवी संक्रमण का सबसे अधिक खतरा बना हुआ है।
एचआईवी संक्रमण के लक्षणों को पहचानिए
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक एचआईवी संक्रमण का समय पर पता लगना आवश्यक होता है। संक्रमितों में वायरस के शरीर में प्रवेश करने के दो से चार सप्ताह के भीतर फ्लू जैसे लक्षणों को अनुभव हो सकता है। इसके अलावा यदि इस तरह के लक्षण लंबे समय तक बने रहते हैं तो इससे विशेष सावधान हो जाने की जरूरत होती है।
- बुखार और सिरदर्द
- मांसपेशियों और जोड़ों का दर्द
- त्वचा पर असामान्य रूप से चकत्ते होना।
- गले में खराश और मुंह के छाले
- लसीका ग्रंथियां में सूजन मुख्यतः गर्दन पर
- दस्त आना और वजन कम होना
- रात को असामान्य रूप से अधिक पसीना आना।
एचआईवी संक्रमण से बचाव
एचआईवी संक्रमण से सुरक्षित रहने के लिए फिलहाल कोई वैक्सीन या विशिष्ट उपचार उपलब्ध नहीं है, इसलिए इससे बचाव करते रहना सबसे आवश्यक माना जाता है। इसके लिए शारीरिक संबंध बनाते समय हर बार कंडोम का इस्तेमाल, साफ और नई सुई को प्रयोग में लाने, संक्रमित व्यक्ति से यौन संबंध न बनाने जैसे उपायों को प्रयोग में लाकर एचआईवी संक्रमण से खुद को सुरक्षित रखा जा सकता है।
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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से प्राप्त जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
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