कर्नाटक काडर के आईएएस अफसर अनुराग तिवारी (35) की संदिग्ध हालात में हुई मौत के घटनाक्रम के रीकंस्ट्रक्शन में पुलिस की घोर लापरवाही उजागर हुई है। अनुराग की मौत की गुत्थी सुलझाने के लिए मीराबाई मार्ग पहुंचे फॉरेंसिक लैब के जॉइंट डायरेक्टर एसके रावत ने घटनास्थल पर सबसे पहले पहुंचने वाले नरही चौकी के सिपाही हरवीर यादव को शव की मूल स्थिति की फोटो व खून के सैंपल न लेने पर कड़ी फटकार लगाई।
फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स ने कहा कि पुलिस की लापरवाही के चलते घटनास्थल से अहम साक्ष्य नष्ट हो गए। रीकंस्ट्रक्शन के दौरान करीब एक घंटे तक फॉरेंसिक टीम ने सड़क से घटनास्थल और गेस्टहाउस तक की नापजोख की। अनुराग तिवारी की हत्या हुई या वह हादसे का शिकार हुए? इसके लिए डमी रखकर अनुमान लगाने की कोशिश की।
शनिवार शाम करीब सवा पांच बजे मीराबाई मार्ग पर स्टेट गेस्टहाउस के पास घटनास्थल पहुंची फॉरेंसिक टीम ने सामान्य यातायात रुकवा दिया। सिपाही हरवीर ने फॉरेंसिक टीम को बताया कि आईएएस अफसर का शव गेस्टहाउस से जवाहर भवन की तरफ जाने वाली सड़क के बीच पेंट से बनी डिवाइडर की पट्टी के दाईं तरफ पड़ा था। उनका सिर दाएं कंधे से कोहनी के बीच था और नाक व ठुड्डी सड़क को छू रही थी। पैर डिवाइडर की पट्टी को छू रहे थे।
फॉरेंसिक टीम ने सड़क पर डमी रखवाकर घटनास्थल से गेस्टहाउस के गेट तक नापजोख कराई। यह दूरी 49 मीटर थी। जिस जगह और जिस स्थिति में शव मिला था, वहां पुलिस ने पेंट से निशान बनवा दिया है।
सिपाही ने बताया कि शव मिलने की सूचना पर वह मौके पर पहुंचा तो पांच-छह लोग मौजूद थे। आसपास के लोगों से पूछताछ की लेकिन कोई पहचान नहीं सका। इसी बीच हजरतगंज कोतवाली के दरोगा विनय शर्मा भी वहां आ गए। उनके आते ही वह वाहन की व्यवस्था करने चला गया। शव की फोटो दरोगा ने ही अपने मोबाइल फोन से खींची थी।