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Rajasthan: शहीद को नौ साल के बेटे ने दी मुखाग्नि, बेटियों ने तिरंगा लेकर पिता को किया विदा, मां और पत्नी बेसुध

न्यूूज डेस्क, अमर उजाला, झुंझुनूं Published by: उदित दीक्षित Updated Sat, 13 Aug 2022 03:48 PM IST
Last Rites of Martyr Subedar Rajendra Prasad Maligaon Jhunjhunu
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जम्मू-कश्मीर के राजौरी में शहीद हुए सूबेदार राजेंद्र प्रसाद का उनके पैतृक गांव मालीगांव में अंतिम संस्कार कर दिया गया। पिता के पार्थिव शरीर को 9 साल के बेटे अंशुल ने मुखाग्नि दी। इस दौरान उनकी अंत्येष्टि में उमड़ी सैकड़ों लोगों की भीड़ राजेंद्र प्रसाद अमर रहें के नारे लगाती रही। अंतिम संस्कार से पहले शहीद को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। वहीं उनकी बेटे और बेटियों ने हाथ में तिरंगा थामकर पिता को आखिरी बार दर्शन कर उन्हें नमन किया। 

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इससे पहले शहीद राजेंद्र प्रसाद का पार्थिव शरीर उनके घर पहुंचा तो कोहराम मच गया। उनकी पत्नी तारामणी और मां श्रवणी देवी बार-बार बेहोश हो रहीं थीं। परिवार वाले जैसे तैसे दोनों को संभाल रहे थे। वहीं, उनके तीनों बच्चों की आंखें भी नम थीं, लेकिन उन्हें अपने पिता की शहादत पर गर्व है। उनकी बेटी प्रिया, साक्षी और बेटे अंशुल ने हाथों में तिरंगा पकड़कर पिता के अंतिम दर्शन किए।  
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बता दें कि राजस्थान के लाल राजेंद्र प्रसाद की पार्थिव देह शुक्रवार देर रात चिड़ावा पहुंची। जहां से शनिवार सुबह उनके पार्थिव शरीर को पैतृक गांव के लिए रवाना किया गया। इस दौरान हाथ में तिरंगा थामकर बड़ी संख्या में युवा भी रवाना हुए थे। देश पर जान कुर्बान करने वाले राजेंद्र प्रसाद की पार्थिव देह रास्ते से गुजरी तो जगह-जगह पर लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि थी।  
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झुंझुनूं जिले के रहने वाले सूबेदार राजेंद्र प्रसाद भाम्बू (48) 11 अगस्त को आतंकी हमल में शहीद हो गए थे। वह जिले के मालीगांव के रहने वाले थे। रक्षाबंधन से एक दिन पहले उनके शहीद होने की खबर घर पहुंची तो मातम पसर गया था। राजेंद्र प्रसाद 23 फरवरी 1995 को सेना में भर्ती हुए थे। वह वर्तमान में सूबेदार के पद पर तैनात थे। 16 जुलाई को ही राजेंद्र छुट्टी पूरी होने के बाद अपनी पोस्टिंग पर गए थे। नवंबर में उनकी बेटी की शादी है, जिसमें शामिल होने के लिए वह आने वाले थे, लेकिन बेटी के कन्यादान से पहले ही पिता राजेंद्र प्रसाद के शहीद होने की खबर आ गई।  
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शहीद जवान राजेंद्र प्रसाद तीन बच्चों के पिता थे। उनके दो बेटियां और एक बेटा है। उनकी पत्नी तारामणी अपने बेटे अंशुल के साथ गांव में रहती है। वहीं उनकी दो बेटियां प्रिया और साक्षी अपने चाचा के साथ जयपुर में रहकर पढ़ाई कर रहीं है। राजेंद्र के शहीद होने की सूचना मिलने के बाद वह उन्हें गांव लेकर पहुंचे थे।
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