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Bhaum Pradosh Vrat Katha: भौम प्रदोष व्रत पर करें इस कथा का पाठ, मिलेगा शिव जी और बजरंगबली का आशीर्वाद

धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: ज्योति मेहरा Updated Tue, 02 Dec 2025 07:04 AM IST
सार

Pradosh Vrat Katha: भौम प्रदोष की कथा का श्रवण और वाचन करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन की आर्थिक रुकावटें दूर होती हैं। चलिए जानते हैं इस व्रत से जुड़ी लोककथा…

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Bhaum Pradosh Vrat Katha - फोटो : Amar Ujala

Bhaum Pradosh Vrat Ki Katha: हर महीने शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। जब यह तिथि मंगलवार को पड़ती है, तो इसे ‘भौम प्रदोष व्रत’ कहा जाता है। इस बार 2 दिसंबर, मंगलवार को भौम प्रदोष का पावन व्रत रखा जाएगा। इस दिन व्रत करना, पूजा-पाठ करना और कथा सुनना अत्यंत शुभ तथा फलदायी माना जाता है। मान्यता है कि भौम प्रदोष की कथा का श्रवण और वाचन करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन की आर्थिक रुकावटें दूर होती हैं। चलिए जानते हैं इस व्रत से जुड़ी लोककथा…



Pradosh Vrat: दिसंबर में कब रखा जाएगा प्रदोष व्रत, जानें तिथियां और पूजा का समय

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भौम प्रदोष व्रत की कथा - फोटो : Adobe stock

भौम प्रदोष व्रत की कथा
बहुत समय पहले एक नगर में एक वृद्ध महिला रहती थी, जिसका एकमात्र पुत्र था। वह हनुमान जी की परम भक्त थी और हर मंगलवार नियमपूर्वक व्रत करके हनुमान जी की पूजा करती थी। एक दिन हनुमान जी ने उसकी भक्ति की परीक्षा लेने का निश्चय किया। तब साधु का रूप धारण करके हनुमान जी उसके घर पहुंचे और आवाज लगाई “क्या कोई हनुमान भक्त है जो हमारी एक इच्छा पूरी कर सके?”

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भौम प्रदोष व्रत की कथा - फोटो : adobe stock

यह सुनकर वृद्धा तुरंत बाहर आई और आदरपूर्वक बोली “महाराज, बताइए आपके लिए क्या कर सकती हूँ?” साधु वेश में हनुमान जी बोले “मैं भूखा हूं। भोजन करना चाहता हूं। पहले थोड़ी जमीन लीप दो।” वृद्धा असमंजस में पड़ गई और हाथ जोड़कर  बोली “महाराज, मिट्टी लीपना मेरे बस की बात नहीं है। कृपया कोई और सेवा बताएं, मैं जरूर करूंगी।”

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भौम प्रदोष व्रत की कथा - फोटो : adobe stock

साधु ने उससे तीन बार प्रतिज्ञा करवाई और बोले “अपने बेटे को बुलाओ। मैं उसकी पीठ पर आग जलाकर भोजन तैयार करूंगा।” यह सुनकर वृद्धा घबरा गई, लेकिन वह वचन दे चुकी थी, इसलिए वह अपने पुत्र को साधु के हवाले कर आई। इसके बाद हनुमान जी ने वृद्धा से ही उसके पुत्र को पेट के बल लिटवाया और उसकी पीठ पर अग्नि प्रज्वलित कर भोजन पकाया। दुखी मन से वृद्धा घर के भीतर चली गई।

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भौम प्रदोष व्रत की कथा - फोटो : adobe stock

भोजन तैयार होने पर साधु ने उसे बुलाकर कहा “भोजन बन चुका है, अब अपने पुत्र को बुलाओ। वह भी प्रसाद ग्रहण करे।” वृद्धा ने रोते हुए कहा “महाराज, उसके नाम से भी मेरा हृदय दुखता है।” लेकिन साधु के आग्रह पर उसने अपने पुत्र को पुकारा और आश्चर्य! उसका पुत्र सुरक्षित खड़ा था। पुत्र को जीवित देखकर वृद्धा कृतज्ञता से साधु के चरणों में गिर पड़ी। तभी हनुमान जी ने अपना वास्तविक स्वरूप प्रकट किया और उसे अखंड भक्ति का वरदान दिया।
**बजरंगबली की जय!
हर हर महादेव!**


 

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष और धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।

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