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Utpanna Ekadashi: भगवान विष्णु के शरीर से उत्पन्न हुई थीं देवी एकादशी, उत्पन्ना एकादशी पर करें इस कथा का पाठ
ज्योतिष डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: ज्योति मेहरा
Updated Fri, 14 Nov 2025 01:36 PM IST
सार
Utpanna Ekadashi 2025 Vrat: धार्मिक परंपराओं के अनुसार उत्पन्ना एकादशी पर व्रत और पूजा करने से जीवन के कष्ट दूर होते हैं और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। इस दिन कथा पढ़ने से सभी बाधाएं दूर होती हैं। ऐसे में आइए जानते हैं उत्पन्ना एकादशी व्रत की कथा...
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उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा
- फोटो : Amar Ujala
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Utpanna Ekadashi Vrat Katha: मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखा जाता है, जिसका विशेष महत्व बताया गया है। एकादशी का व्रत जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन श्रद्धापूर्वक भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का पूजन किया जाता है। मान्यता है कि इसी तिथि पर देवी एकादशी प्रकट हुई थीं, इसलिए उनकी आराधना भी की जाती है।
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धार्मिक परंपराओं के अनुसार उत्पन्ना एकादशी पर व्रत और पूजा करने से जीवन के कष्ट दूर होते हैं और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। माना जाता है कि इस व्रत से पापों का क्षय होता है और मनुष्य के जीवन में शुभता का आगमन होता है। इस दिन पूजा तभी पूर्ण मानी जाती है, जब व्रत कथा का श्रवण या पाठ किया जाए। मान्यता है कि कथा पढ़ने से सभी बाधाएं दूर होती हैं और रुके हुए कार्य बनने लगते हैं।
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उत्पन्ना एकादशी 2025 की तिथि
- फोटो : adobe
उत्पन्ना एकादशी 2025 की तिथि
पंचांग के अनुसार एकादशी तिथि की शुरुआत 15 नवंबर, शनिवार को सुबह 12:49 बजे से होगी और यह 16 नवंबर, रविवार को सुबह 02:37 बजे तक रहेगी। 15 नवंबर को सूर्योदय के समय एकादशी विद्यमान रहेगी, इसलिए व्रत 15 नवंबर, शनिवार को रखा जाएगा।
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उत्पन्ना एकादशी व्रत की कथा
- फोटो : adobe stock
उत्पन्ना एकादशी व्रत की कथा
प्राचीन कथाओं के अनुसार सतयुग में मुर नामक एक अत्यंत पराक्रमी दैत्य था। उसने इंद्र सहित कई देवताओं को पराजित कर स्वर्गलोक पर अधिकार कर लिया था। उसकी बढ़ती शक्ति और अत्याचारों से देवी-देवता व्याकुल हो उठे। ऐसे में सहायता के लिए वे भगवान शिव के पास पहुंचे। तब शिवजी ने उन्हें भगवान विष्णु की शरण में जाने को कहा।
देवताओं की प्रार्थना सुनकर भगवान विष्णु ने मुर का संहार करने का निश्चय किया। वे देवताओं के साथ चन्द्रवती नामक नगरी पहुंचे, जहां मुर का राज्य था। वहां विष्णु और मुर के बीच भयंकर युद्ध छिड़ गया, जो लंबे समय तक चलता रहा। जब युद्ध का अंत नहीं दिखा, तो भगवान विष्णु बद्रिकाश्रम की हेमवती गुफा में विश्राम करने चले गए।
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उत्पन्ना एकादशी व्रत की कथा
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राक्षस मुर उनका पीछा करते हुए उसी गुफा में पहुंचा। जैसे ही उसने विश्रामरत विष्णु पर आक्रमण करने की कोशिश की, तभी भगवान के शरीर से एक तेजस्विनी शक्तिमान कन्या प्रकट हुई। उस दिव्य कन्या ने तुरंत मुर का वध कर दिया। जब भगवान विष्णु ने विश्राम से नेत्र खोले, तो उन्होंने मुर को मृत अवस्था में देखा और कन्या की वीरता से अत्यंत संतुष्ट हुए।
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उत्पन्ना एकादशी व्रत की कथा
- फोटो : adobe stock
उन्होंने कन्या को वरदान दिया कि क्योंकि उसका जन्म एकादशी तिथि पर हुआ है, इसलिए संसार उसे "एकादशी" के नाम से जानेगा। हर युग में उसकी पूजा होगी और जो लोग श्रद्धा से एकादशी व्रत करेंगे, उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होगी। विष्णु ने यह भी कहा कि उन्हें एकादशी व्रत उतना ही प्रिय होगा जितना कोई अन्य उपासना नहीं हो सकती।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है।
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