प्रत्येक माह में शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित की जाती है। शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी और कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। इस बार मार्गशीर्ष मास में कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी का व्रत 23 नवंबर 2021 दिन मंगलवार को रखा जाएगा। भगवान गणेश को सभी देवों में प्रथम पूजनीय बताया गया है। इनकी आराधना से किया गया कोई भी कार्य बिना किसी विघ्न के पूर्ण हो जाता है। इसलिए इन्हें विघ्नविनाशक या विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। जहां पर भगवान गणेश विराजते हैं वहां पर रिद्धि-सिद्धि, शुभ-लाभ और शुभता का वास होता है। गणपति बप्पा अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। गणेश जी की कृपा प्राप्त करने के लिए चतुर्थी तिथि का विशेष महत्व माना जाता है। यदि आप संकष्टी चतुर्थी के दिन इनकी पूजा से संबंधित कुछ उपायों को करते हैं तो मान्यता है कि आपके जीवन में खुशियों और शुभता का आगमन होता है व सभी समस्याएं दूर होती हैं। तो चलिए जानते हैं उपाय।
गणेश यंत्र की स्थापना-
ज्योतिष के अनुसार, गणेश यंत्र की बहुत ही चमत्कारी माना गया है। इस यंत्र को स्थापित करने से घर में किसी प्रकार से नकारात्मक शक्तियों का प्रवेश नहीं होता है और आपके घर में सकारात्मकता व शुभता बनी रहती है। गणेश यंत्र की पूजा करना बहुत लाभकारी रहता है। संकष्टी चतुर्थी के दिन आप अपने घर में गणेश यंत्र की स्थापना कर सकते हैं।
दूर्वा की गांठ और मोदक-
भगवान गणेश ही ऐसे देव हैं जिन्हें दूर्वा प्रिय है। गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए दूर्वा और मोदक अर्पित करना सबसे सरल उपाय माना गया है। संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करते समय उन्हें मोदक का भोग लगाना चाहिए साथ ही दूर्वा की 21 गांठ अर्पित करनी चाहिए। भगवान गणेश को दूर्वा की गांठ अर्पित करते समय गणेश जी के 21 नामों का उच्चारण करना चाहिए। मान्यता है कि इससे भगवान गणेश अत्यंत प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की हर मनोकामना को पूर्ण करते हैं।
अथर्वशीर्ष का पाठ-
वैसे तो नियमित रूप से गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करना चाहिए। यह बहुत ही लाभकारी रहता है लेकिन विशेष तौर पर बुधवार और चतुर्थी तिथि पर गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है। संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश के निमित्त व्रत और पूजन करना चाहिए साथ ही में अथर्वशीर्ष का पाठ भी करना चाहिए। मानसिक शांति के लिए यह पाठ बहुत लाभकारी माना गया है। मान्यता है कि इस पाठ को करने से मन शांत होता है और सभी संकट दूर हो जाते हैं।