आगरा में मच्छरों के हमले ने लोगों को बीमार कर दिया है। एसएन मेडिकल कॉलेज समेत प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ गई है। ओपीडी में आने वाला हर तीसरा मरीज बुखार की चपेट में है। मेडिसिन विभाग में रोजाना औसतन 650 और बाल रोग विभाग में 200 से अधिक मरीज पहुंच रहे हैं। इसमें सबसे ज्यादा वायरल फीवर के मरीज हैं। इनको बुखार के साथ खांसी, जुकाम और उल्टी की शिकायत हैं। रोजाना 10-15 मरीजों को भर्ती किया जा रहा है।
तस्वीरें: ताजनगरी में मच्छरों का हमला, तेजी से फैल रहा बुखार, इन बातों का रखें ख्याल
प्राचार्य डॉ. जीके अनेजा ने बताया कि डेंगू और मलेरिया के लक्षणों को देखते हुए इनके रक्त के नमूने लेकर जांच को भेजे जा रहे हैं। मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. पीके माहेश्वरी ने बताया कि वायरल फीवर के मरीज काफी बढ़े हैं, लेकिन घबराने जैसी स्थिति नहीं है। गंभीर मरीज नजर आने पर उन्हें भर्ती कर दो-तीन दिन में छुट्टी देते हैं।
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50 मिली में पनप जाता 'टाइगर' मच्छर
- मादा एडीज से डेंगू होता है। इसे 'टाइगर' मच्छर भी कहा जाता है। ये दिन में काटता है। तीन से चार फीट तक ही उड़ता है। इसलिए अधिकांश पैरों में ही
काटता है। साफ और ठहरे हुए पानी में ये रहता है। 50 मिली पानी में ये पनप जाता है।
- एनाफिलीज मच्छर के काटने से मलेरिया होता है। ये भी रुके हुए और साफ पानी में रहता है। ये दिन-रात में काटता है। इसके अलावा क्यूलेक्स मच्छर
नाली में पनपता है। इसके काटने से अपने यहां कोई खतरा नहीं है।
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पूरे बाजू के कपड़े पहनें:
मच्छरों से बचाव के लिए फुल बाजू के कपड़े पहनें। ऑफिस में काम करते वक्त जूते और मौजे जरूर पहनें। कूलरों का पानी रोजाना बदलें। आसपास रुके
हुए पानी में मिट्टी के तेल छिड़क दें। देसी तरीके बचाव के लिए नीम की पत्तियां जलाएं।
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तीन से सात दिन तक रहता है बुखार
- एसएन मेडिकल कॉलेज के डेंगू वार्ड प्रभारी डॉ. मृदुल चतुर्वेदी ने बताया कि डेंगू, मलेरिया और वायरल फीवर तीन से सात दिन तक रह सकता है।
- अधिकांश मरीज तीन से पांच दिन में ठीक हो जाते हैं। बुखार आने पर पैरासीटामोल टैबलेट और गुनगुना पानी पिएं और डॉक्टर को दिखाएं।
- लगातार उल्टी होना, पेट दर्द, पसीना और घबराहट होना, लगातार प्लेटलेट्स कम होने पर ही मरीज को भर्ती करने की जरूरत रहती है।