कानपुर में दोहरे हत्याकांड में पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आई है। परिजनों का आरोप है कि सूचना के करीब एक घंटे बाद पुलिस पहुंची। तब तक हत्यारोपियों का खूनी खेल जारी रहा। पथराव किया, गोलियां दागीं, चापड़ और चाकू से दोनों पर ताबड़तोड़ वार किए। परिजनों का कहना है कि पुलिस अगर समय पर पहुंच जाती तो शायद दोनों की जान बच जाती।
आरोप है कि मुख्य आरोपी जिला पंचायत सदस्य दीपू निषाद को सत्ताधारी पार्टी से भी राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है। राजकुमार के परिजनों के मुताबिक रात करीब साढ़े दस बजे विवाद शुरू हुआ। पुलिस करीब साढ़े 11 बजे पहुंची। तब तक आरोपी राजकुमार और रवि की हत्या कर फरार हो चुके थे।
पुलिस ने नवाबगंज व आसपास के इलाकों की नाकेबंदी कर दी थी। इस वजह से आरोपी बाहर नहीं जा सके। सर्विलांस टीम की मदद से लोकेशन ट्रेस की और एक के बाद एक चार आरोपियों को दबोच लिया। वहीं परिजनों के आरोप पर पुलिस अफसरों का कहना है कि सूचना मिलने के दस से पंद्रह मिनट के भीतर ही फोर्स पहुंच गई थी।
मुसीबत में फंसने पर नेता करते थे मदद
परिजनों का कहना है कि दीपू के बसपा के अलावा शहर के ही एक-दो भाजपा नेताओं से संबंध हैं। मुसीबत में फंसने पर सत्ताधारी नेता उसकी मदद करते थे। यही वजह है कि आपराधिक इतिहास होने पर भी पुलिस उसके प्रति नरम रहती। पंचायती चुनाव के मद्देनजर जारी दिशा-निर्देशों के बावजूद पुलिस ने उस पर कोई कार्रवाई नहीं की। पीड़ित परिजनों के मुताबिक नेताओं की पैरवी पर दीपू की तरफ से उनके खिलाफ मुकदमे भी दर्ज कराए गए हैं।
30-40 राउंड फायरिंग, चापड़ से हमले के चलते हड्डियों के टुकड़े मिले
मंदिर परिसर में जिस जगह पर दोनों को मारा गया, वहां खून, गोलियों के छर्रे पड़े थे। चापड़ से इस कदर काटा कि हड्डियों की टुकड़े पड़े मिले। पुलिस ने आठ खोखे भी बरामद किए हैं। इलाकाई लोगों के मुताबिक तीस से चालीस राउंड फायरिंग हुई है। फोरेंसिक टीम ने सभी साक्ष्यों को जुटाया है। गोलियां 315 बोर के तमंचे से दागी गईं थीं।