यूपी के कानपुर में भोलेनाथ का भूतेश्वर मंदिर है। भक्तों का मानना है कि बाबा भूतेश्वर हर मनोकामना पूरी करते हैं। यही वजह है कि सावन भर दूर-दूर से भक्त बाबा के दर्शन के लिए आते हैं। यही नहीं इस मंदिर का नाता भगवान श्रीराम के समय से है। यह भी माना जाता है कि इस मंदिर को भूतों ने बनवाया था।
यूं तो इस सृष्टि में शायद ही कोई काल या काल चक्र ऐसा रहा हो जिसमें भगवान शंकर की उपस्थिति न रही हो। हर काल में भगवान शंकर की स्तुति, आराधना और उनकी अनुकंपाओं की तमाम किवदंतियां और कहानियां प्रचलित हैं। सतयुग से लेकर कलियुग तक ओंकार की महिमा ही फलीभूत होती रही है।
कानपुर के हसनपुर इलाके में भगवान शंकर का हजारों वर्ष पुराना मंदिर है। जिसके बारे में किवदंतियां है कि भगवान शंकर के प्रिय भूतों ने रातोंरात इस मंदिर का निर्माण किया। जिससे इसका नाम भूतेश्वर महादेव पड़ा। मंदिर के महन्त महाराज गिरी ने बताया कि मंदिर हजारों साल पुराना है। भगवान राम ने जब सीता माता का परित्याग कर दिया था तब यहां सीता माता लव और कुश के साथ बिठूर में रहती थीं। तब रोजाना जल अर्चन के लिए आती थीं |
मुगल शासक औरंगजेब ने इस मंदिर में तोड़फोड़ की थी। हालांकि किसी को स्पष्ट नहीं है लेकिन पूर्वजों ने जैसा बताया उसके अनुसार भूतेश्वर महादेव मंदिर में टूटी हुई मूर्तियों के अवशेष आज भी हैं। जिनको देख कर स्पष्ट होता है कि मुगल शासक औरंगजेब ने इस मंदिर पर हमला किया था।
भूतेश्वर महादेव मंदिर में दो सुरंगे भी थीं जिसमें से एक रावतपुर क्षेत्र में और दूसरी बिठूर क्षेत्र में खुलती थी। रावतपुर के राजा की रानी रौतेला इन्ही सुरंगों से भूतेश्वर महादेव की पूजा करने आती थीं। रानी रौतेला बहुत सुन्दर थीं। उन्हें कोई देख न सके इसलिए रावतपुर राजा ने रानी के लिए दो सुरंगों का निर्माण कराया था जिनके अवशेष आज भी मौजूद हैं।
क्षेत्र के लोगों का भूतेश्वर महादेव में असीम और अटूट विश्वास है। लोगों का मानना है कि भूतेश्वर बाबा किसी की भी मनोकामना को बाकी नहीं छोड़ते सभी भक्त बाबा के दरबार से प्रसन्न होकर जाते हैं और मनोकामना पूरी होने पर पीतल के घण्टे चढ़ाते हैं। भूतेश्वर महादेव मंदिर में रोजाना सुबह 5 बजे महादेव की आरती होती है जिसमें सैकड़ों भक्त शामिल होते हैं।