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सहारनपुर में सात की मौत: पांच फीट ऊंची कार पिचककर दो फीट की रह गई, अंदर फंसी थीं खून से लथपथ सात लाशें
विनीत तोमर, सहारनपुर
Published by: मोहम्मद मुस्तकीम
Updated Fri, 28 Nov 2025 11:03 PM IST
सार
Saharanpur News: एनएचएआई ने निर्माण पूरा होने के बाद भी ओवरब्रिज बंद कर रखे हैं, जिन्हें कभी-कभी अपनी मर्जी से खोल दिया जाता है, तो कभी बंद कर दिया जाता है। अगर ओवरब्रिज खुला होता तो बजरी से भरा ट्रक सर्विस रोड से नहीं गुजरता।
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हादसे में मारे गए सात लोगों के फाइल फोटो।
- फोटो : अमर उजाला
सोना सैयद माजरा में हुए दर्दनाक हादसे ने हर किसी को झकझोर दिया। ओवरलोड डंपर की बजरी में सात जिदंगियों ने तड़पकर दम तोड़ दिया। सवाल यह है कि इस हादसे का जिम्मेदार कौन है? तेज रफ्तार डंपर चालक या फिर एनएचएआई, जिसने निर्माण पूरा होने के बाद भी ओवरब्रिज नहीं खोलें या फिर लापरवाह पुलिस-प्रशासन, जो ओवरलोड वाहनों पर लगाम लगाने में विफल साबित हो रहा है। नियंत्रणहीन डंपर और लापरवाह सिस्टम के कारण हंसते-खेलते परिवार की सात जिंदगी मौत की नींद सो गईं।
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जाम में फंसे वाहन।
- फोटो : अमर उजाला
जिम्मेदार नंबर 1: डंपर चालक
इस हादसे का सबसे बड़ा जिम्मेदार डंपर चालक है। प्रत्यक्षदर्शी दीपेंद्र, घनश्याम और सुधीर आदि का कहना है कि डंपर की स्पीड काफी ज्यादा था। अगर स्पीड कम होती तो शायद चालक ब्रेक लगाकर कंट्रोल कर सकता था, लेकिन वह डंपर पर नियंत्रण नहीं कर सका और इतने बड़े हादसे को अंजाम दे दिया।
इस हादसे का सबसे बड़ा जिम्मेदार डंपर चालक है। प्रत्यक्षदर्शी दीपेंद्र, घनश्याम और सुधीर आदि का कहना है कि डंपर की स्पीड काफी ज्यादा था। अगर स्पीड कम होती तो शायद चालक ब्रेक लगाकर कंट्रोल कर सकता था, लेकिन वह डंपर पर नियंत्रण नहीं कर सका और इतने बड़े हादसे को अंजाम दे दिया।
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एक्सप्रेस वे पर लगे जाम में फंसे वाहनों से उतर पैदल जाते यात्री।
- फोटो : अमर उजाला
जिम्मेदार नंबर 2: पुलिस-प्रशासन
ओवरलोड डंपरों को लेकर आएदिन अभियान चलाए जा रहे हैं, लेकिन असर वही ढाक के तीन पात वाला हो रहा है। प्रत्यक्षदर्शी राजपाल और देवेंद्र आदि ने बताया कि ओवरलोड होने के कारण डंपर अनियंत्रित हुआ और कार पर पलट गया। जिस समय कार के ऊपर से बजरी हटाई गई, तब हर कोई हैरान था। करीब पांच फीट ऊंची कार पिचककर दो से तीन फीट रह गई थी और सात लाशें उसमें खून से लथपथ हालत में पड़ी थी। बड़ा सवाल यह है कि ओवरलोड पर कार्रवाई की जा रही है तो फिर यह कैसे पुलिस की आंखों में धूल झोंककर निकल गया।
ओवरलोड डंपरों को लेकर आएदिन अभियान चलाए जा रहे हैं, लेकिन असर वही ढाक के तीन पात वाला हो रहा है। प्रत्यक्षदर्शी राजपाल और देवेंद्र आदि ने बताया कि ओवरलोड होने के कारण डंपर अनियंत्रित हुआ और कार पर पलट गया। जिस समय कार के ऊपर से बजरी हटाई गई, तब हर कोई हैरान था। करीब पांच फीट ऊंची कार पिचककर दो से तीन फीट रह गई थी और सात लाशें उसमें खून से लथपथ हालत में पड़ी थी। बड़ा सवाल यह है कि ओवरलोड पर कार्रवाई की जा रही है तो फिर यह कैसे पुलिस की आंखों में धूल झोंककर निकल गया।
जाम के दौरान परिजनों और भीड़ से बात करते पूर्व मंत्री धर्म सिंह सैनी व देहात विधायक आशु मलिक।
- फोटो : अमर उजाला
जिम्मेदार नंबर 3: एनएचएआई
दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे का इस हिस्से में निर्माण काफी हद तक पूरा हो चुका है। गागलहेड़ी से बिहारीगढ़ तक नौ ओवरब्रिज हैं। कभी इन ओवरब्रिज को वाहनों के लिए खोल दिया जाता है तो कभी बंद कर दिया जाता है। तर्क दिया जाता है कि मरम्मत कार्य चल रहा है। फिलहाल भी कई ओवरब्रिज बंद हैं। सर्विस रोड से ही वाहनों को निकाला जा रहा है।
दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे का इस हिस्से में निर्माण काफी हद तक पूरा हो चुका है। गागलहेड़ी से बिहारीगढ़ तक नौ ओवरब्रिज हैं। कभी इन ओवरब्रिज को वाहनों के लिए खोल दिया जाता है तो कभी बंद कर दिया जाता है। तर्क दिया जाता है कि मरम्मत कार्य चल रहा है। फिलहाल भी कई ओवरब्रिज बंद हैं। सर्विस रोड से ही वाहनों को निकाला जा रहा है।
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लोगों ने जाम नहीं खोला तो पुलिस ने लाठी लेकर दौड़ा लिया।
- फोटो : अमर उजाला
अगर ओवरब्रिज चलता तो डंपर सर्विस रोड से न निकलता। एनएचएआई की कार्यशैली पर सवाल इसलिए भी खड़े हो रहे हैं कि हादसे के बाद आनन-फानन में ओवरब्रिज को खोल दिया गया। अगर वहां मरम्मत की जा रही थी कि हादसे के बाद ओवरब्रिज कैसे खोल दिया गया। अगर ओवरब्रिज पर कोई काम नहीं हो रहा था तो पहले बंद क्यों रखा गया था।
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