27 June 20222 mins 2 secs
क्या भरोसा देह का, बिनस जात छिन मांह ।
सांस-सांस सुमिरन करो और यतन कुछ नांह ॥
इस शरीर का क्या विश्वास है यह तो पल-पल मिटता हीं जा रहा है इसीलिए अपने हर सांस पर हरी का सुमिरन करो और दूसरा कोई उपाय नहीं है
24 June 20222 mins 12 secs
माया छाया एक सी, बिरला जाने कोय ।
भागता के पीछे लगे, सम्मुख भागे सोय ॥
माया और छाया एक जैसी है इसे कोई-कोई ही जानता है यह भागने वालों के पीछे ही भागती है, और जो सम्मुख खड़ा होकर इसका सामना करता है तो वह स्वयं हीं भाग जाती है
22 June 20222 mins 37 secs
जहां आपा तहां आपदा, जहां संशय तहां रोग ।
कह कबीर यह क्यों मिटे, चारों धीरज रोग ॥
जहां मनुष्य में घमंड हो जाता है उस पर आपत्तियां आने लगती हैं और जहां संदेह होता है वहां-वहां निराशा और चिंता होने लगती है । कबीरदास जी कहते हैं की यह चारों रोग धीरज से हीं मिट सकते हैं
20 June 20222 mins 30 secs
नींद निशानी मौत की, उठ कबीरा जाग ।
और रसायन छांड़ि के, नाम रसायन लाग ॥
कबीरदास जी कहते हैं की हे प्राणी ! उठ जाग, नींद मौत की निशानी है । दूसरे रसायनों को छोड़कर तू भगवान के नाम रूपी रसायनों मे मन लगा
19 June 20222 mins 1 secs
भक्ति गेंद चौगान कि, भावे कोई ले जाय ।
कह कबीर कछु भेद नहिं, कहां रंक कहां राय ॥
कबीरदास जी कहते हैं कि ईश्वर भक्ति तो गेंद के समान है, चाहे जो ले जाय इसमे क्या राजा और क्या कंगाल किसी में कुछ भेद नहीं समझा जाता
16 June 20222 mins 7 secs
कबीरा ते नर अन्ध हैं, गुरु को कहते और ।
हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहीं ठौर ॥
कबीरदास जी कहते हैं कि वो नर अंधे हैं जो गुरु को भगवान से छोटा मानते हैं क्योंकि ईश्वर के रुष्ट होने पर एक गुरु का सहारा तो है लेकिन गुरु के नाराज होने के बाद कोई ठिकाना नहीं है
15 June 20222 mins 4 secs
तन को जोगी सब करे, मन को विरला कोय ।
सहजे सब विधि पाइए, जो मन जोगी होए ।
लोग रोजाना अपने शरीर को साफ़ करते हैं लेकिन मन को कोई साफ़ नहीं करता। जो इंसान अपने मन को भी साफ़ करता है वही सच्चा इंसान कहलाने लायक है।
14 June 20222 mins 0 secs
तन को जोगी सब करे, मन को विरला कोय ।
सहजे सब विधि पाइए, जो मन जोगी होए ।
लोग रोजाना अपने शरीर को साफ़ करते हैं लेकिन मन को कोई साफ़ नहीं करता। जो इंसान अपने मन को भी साफ़ करता है वही सच्चा इंसान कहलाने लायक है।
13 June 20222 mins 10 secs
जो उग्या सो अन्तबै, फूल्या सो कुमलाहीं।
जो चिनिया सो ढही पड़े, जो आया सो जाहीं।
इस संसार का नियम यही है कि जो उदय हुआ है,वह अस्त होगा। जो विकसित हुआ है वह मुरझा जाएगा। जो चिना गया है वह गिर पड़ेगा और जो आया है वह जाएगा।
12 June 20222 mins 11 secs
ऐसा कोई ना मिले, हमको दे उपदेस।
भौ सागर में डूबता, कर गहि काढै केस।
कबीर संसारी जनों के लिए दुखित होते हुए कहते हैं कि इन्हें कोई ऐसा पथप्रदर्शक न मिला जो उपदेश देता और संसार सागर में डूबते हुए इन प्राणियों को अपने हाथों से केश पकड़ कर निकाल लेता।